*संगीता श्रीवास्तव 'क़सक'*
मुहब्बत की बेशक हसीं रात होगी
निगाहों निगाहों में जब बात होगी !
इशारों इशारों में दिल से मिले दिल,
भले ही लबों से न कुछ बात होगी।
धड़कता है दिल इतनी रफ़्तार से क्यूं,
ये तेरी नज़र की ख़ुराफ़ात होगी।
करोगे बहाने कहाँ तक सनम तुम
मेरे हौसलों में भी कुछ बात होगी !
ये रुत भीनी भीनी फिजाओं में जादू,
ग़ज़ल ये तुम्हें मेरी सौगात होगी !
हां शिद्दत से चाहा है तुमको 'कसक'ने,
यकीनन ख़ुशी की ही बरसात होगी ।
*संगीता श्रीवास्तव "क़सक",छिंदवाड़ा मप्र
निगाहों निगाहों में जब बात होगी !
इशारों इशारों में दिल से मिले दिल,
भले ही लबों से न कुछ बात होगी।
धड़कता है दिल इतनी रफ़्तार से क्यूं,
ये तेरी नज़र की ख़ुराफ़ात होगी।
करोगे बहाने कहाँ तक सनम तुम
मेरे हौसलों में भी कुछ बात होगी !
ये रुत भीनी भीनी फिजाओं में जादू,
ग़ज़ल ये तुम्हें मेरी सौगात होगी !
हां शिद्दत से चाहा है तुमको 'कसक'ने,
यकीनन ख़ुशी की ही बरसात होगी ।
*संगीता श्रीवास्तव "क़सक",छिंदवाड़ा मप्र
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