*सुरजीत मान जलईया सिंह*
इसी तरह प्रगति के पथ पर
चले अगर हम मस्ताने।
आने वाले कुछ वर्षों में
कैसा बाल दिवस होगा?
काट रहे हो पेड़ निरन्तर
जाने किस अभिलाषा में।
पाट रहे हो ज़मीं निरन्तर
पक्के घर की आशा में?
बच्चे हमसे प्रश्न करेंगे
खेती में कुछ न होगा।
आने वाले कुछ वर्षों में
कैसा बाल दिवस होगा?
मीठा पानी नहीं मिलेगा
ताजा हवा नहीं होगी।
रोग पनप जायेंगे ऐसे
जिनकी दवा नहीं होगी।
ए. सी. बंगला इन कारों का
बच्चों के बिन क्या होगा?
आने वाले कुछ वर्षों में
कैसा बाल दिवस होगा?
आने वाली सभी पीढ़ियाँ
रोयेंगी इस उन्नति को।
भर भर झोली देंगी गाली
मानव की इस संगति को।
आसमान में उड़ने वाले
कैसा तेरा कल होगा?
आने वाले कुछ वर्षों में
कैसा बाल दिवस होगा?
*सुरजीत मान जलईया सिंह,दुलियाजान, असम,मोबाइल 9997111311
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