*भारती शर्मा*
काश कभी ऐसा हो जाए
ख़्वाबों की छलनी में छनकर
तू मेरी निंदिया में आए
धरती से अम्बर तक डोलूँ
मन की सारी परतें खोलूँ
रोक रही हैं कुछ सीमाएंँ
मन की ना मन में रह जाए
ख्वाहिश है बस साथ चलूँ मैं
थाम के तेरा हाथ चलूँ मैं
एक झलक पाने को मन ये
दुनिया भर के नाज़ उठाए
साँसें चंदन बनकर महकें
धड़कन के संग धड़कन बहकें
तुम जिस मौसम में भी आओ
वो मौसम सावन हो जाए
काश कभी ऐसा हो जाए
ख्वाबों की छलनी में छानकर
तू मेरी निंदिया में आए
भारती शर्मा (अलीगढ़) मो. 8630176757
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