*डॉ निशा चौहान*
कभी चांद की चांदनी
कभी सूरज की किरण
कभी दिन का चैन
कभी रातों की नींद
कभी दिल का टुकड़ा
कभी लबों की हंसी
कभी सारा जहां
कभी दिल में उठती तरंग
कभी दिल का खवाब
तभी दिल की धड़कन
कभी नजर का नजारा
कभी कोयल सी मधुर
कभी सारे जहां की खुशी
कभी दिल का टुकड़ा
कभी जहां की सारी मासूमियत
कभी जहां का प्यारा दोस्त
कभी जहां का सारा प्यार
कभी जीवन भर का साथ
अभी इतना विरोधाभास?????
*डॉ निशा चौहान, सहायक आचार्य- हिंदी विभाग, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सीमा( रोहडू), जिला शिमला (हि.प्र.)
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