अवधपुरी सूनी पड़ी, गए राम वनवास/एक दिन वापस आएंगे यही आस विश्वास
छिंदवाड़ा - साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन भोपाल की इकाई पाठक मंच (बुक क्लब) छिंदवाड़ा द्वारा सेवानिवृत्त न्यायधीश केशव प्रसाद तिवारी के निवास पर "दीप भव" कार्यक्रम का आयोजन किया गया है! कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि डॉ कौशल किशोर श्रीवास्तव ने की तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि ओम प्रकाश नयन और विशिष्ठ अतिथि केशव प्रसाद तिवारी थे! कार्यक्रम पहले दौर का संचालन विशाल शुक्ल ने तथा गोष्ठी का संचालन कवि रत्नाकर रतन ने किया ! कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमति मोहिता जगदेव द्वारा माँ सरस्वती के चरणों मे प्रस्तुत वंदना से हुआ! नव उदीयमान कवि श्रीकांत सराठे ने माँ की ममता को कविता के माध्यम से सांझा किया! शशांक पारसे ने एक कविता के जन्म को कविता से चित्रित करते हुए वाह वाही प्राप्त की! कविता से ग़ज़ल की ओर ले जाते हुए शिवराम विश्वकर्मा ने पढ़ा कि..
"देखने जब भी ताज महल जाओगे
शाह आगोश में मुमताज महल पाओगे
खुशनुमा जज्बात दिल मे उभर आएंगे
फिर उजाला की तरह मीठी ग़ज़ल गाओगे"
इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए नवोदित कवियत्री माधुरी बेन्डे ने प्रेम और मोहब्बत को गजलों में इश्क इबादत बना दिया ! श्रीमती मोहित मुकेश जगदेव ने व्यंग्य का तेवर दिखाया..
"पहली दिवाली नेताओं ने मनाया
बने खुद लक्ष्मी, उल्लू जनता को बनाया"
कवि रत्नाकर रतन ने सर्व धर्म सद्भाव के सूत्र को ग़ज़लों से व्यक्त किया ...
"ईद दिवाली इंसा में भाईचारा हो
आओ इस शेर से मतले चलो उठाते है
नजर मिलाके रतन नींद वो चुराते है
वो मेरे ख्यालो में चुपके से चले आते है"
कविता को अन्ताक्षरी की तरह नये रंग में प्रस्तुत करते हुए कवि विशाल शुक्ल ने अचंभित कर दिया!
"जग मग करता दीप, बूंद के नीचे सीप
सीप में लहराता सागर जैसे नटवर नागर
नागर और हम, प्रकाश व तम
तम मांगे प्रकाश, तंत्र से जन आस"
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि ओम प्रकाश नयन ने अपनी नई कविता से गोष्ठी को ऊंचाइयां देते हुए वाह वाही प्राप्त की ...
"कीड़े मकोड़े, जानवर और आदमी
दुश्मन दौड़ता है रगो में
देसी ठर्रा, विदेशी रम, सिगरेट,
बीड़ी, तम्बाखू आदि बनकर
और सौंप देता है एक साथ
कैन्सर, क्षय, एड्स इबोला जैसी कई सौगाते"
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि पूर्व न्यायधीश केशव प्रसाद तिवारी द्वारा हाल ही में अयोध्या फैसले पर प्रस्तुत हिंदी ग़ज़ल चर्चित को सराहना मिली...
"अवधपुरी सूनी पड़ी, गए राम वनवास
एक दिन वापस आएंगे यही आस विश्वास
भरत रहे भारत रहे यही करे विश्राम
मन्दिर बनना है वहीं, जन्मे जहां श्रीराम"
कार्यक्रम अध्यक्ष डॉक्टर कौशल किशोर श्रीवास्तव ने भगवान बुद्ध के सूत्र वाक्य "अप्प दीप भव" की प्रासंगिकता पर ना सिर्फ विचार व्यक्त किये बल्कि पर्यावरण और विशेष रूप से जंगलो की होती बेहताशा कटाई पर प्रस्तुत अपनी मार्मिक कविता से भाव विभोर कर दिया ! कार्यक्रमोपरान्त कार्यक्रम की सफलता पर पाठक मंच के संयोजक विशाल शुक्ल ने आभार व्यक्त किया!
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