*नवीन माथुर पंचोली*
आसमाँ से नज़ारा लुटाता रहा।
रात भर वो सितारा लुभाता रहा।
कुछ सलीक़े उसी से चलो सीख लें,
वास्ता जो सभी से निभाता रहा।
मुस्कुराहट हमें भी वहाँ आ गई,
ये ज़माना जहाँ मुस्कुराता रहा।
चाँद सूरज की तरहाँ है उसका सफ़र,
जो उजालों का दरिया बहाता रहा।
जानता है रिवायत , शराफ़त सभी,
वो झुकाकर भी नज़रें मिलाता रहा।
*नवीन माथुर पंचोली,अमझेरा धार मप्र,मो.9893119724
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