Subscribe Us

यादें बहुत रुलाती हैं (कविता)











*विजय कनौजिया*
करो न ऐसे याद मुझे तुम
हिचकी मुझको आती है
मन बेबस सा हो जाता है
यादें बहुत रुलाती हैं..।।

क्यूं मेरी यादों में आकर
फिर अरमान जगाते हो
न जाने क्यूं चाह तुम्हारी
अब भी बहुत सताती है..।।

अब भी तेरे आने की
उम्मीद लिए बैठा हूँ मैं
मन पुलकित हो जाता है
जब आहट कोई आती है..।।

नहीं आसरा है अब कोई
लौट कभी तुम आओगे
यही सोच विचलित होता मन
आँख मेरी भर आती है..।।

करो न ऐसे याद मुझे तुम
हिचकी मुझको आती है
मब बेबस सा हो जाता है
यादें बहुत रुलाती हैं..।।
यादें बहुत रुलाती हैं..।।
*विजय कनौजिया,काही,अम्बेडकर नगर (उ0 प्र0),मो0-9818884701











शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-


अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com


या whatsapp करे 09406649733



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ