Subscribe Us

पांडेय जी और उनकी आदतें (व्यंग्य)












*लालित्य ललित*

 

कुछ जरूरत से ज्यादा बुद्धिमान लोगों का कहना है कि खाना और नहाना खुले में न हो।यानी समझ गए न कि कहा क्या जा रहा है!

आज का दिन भी ऐसा निकला।उम्र के साथ नींद न आना भी एक उम्र का बहाना है।विलायती राम पांडेय जी सुबह नियम से पार्क जाते और सैर कर निकल आते।

आज जब सीएनजी भरवा कर लाए तो सोचा कि अब पार्क में जाकर आक्सीजन भरवा लाये।ये शरीर के लिए उतनी ही जरूरी है जितनी सीएनजी कार के लिए।

एक सत्तर साल के जवान पांडेय जी से टकरा गए।

नमस्ते जी,सुनिए।

पांडेय जी को किसी ने पीछे से टोक दिया।मुड़ कर देखा तो एक बुजुर्ग थे।पांडेय जी को लगा कि अब दस मिनट गए।उन जनाब ने कहा कि मैं आप से भी ज्यादा मोटा था।

अब चुभने वाली बात ये थीं कि पांडेय जी ने कहा कि इसका मतलब आपकी आंखें खराब है या शुगर की वजह से आपकी आंखों की दृष्टि में कोई अवरोध है।

वह जनाब कहने लगे कि एक उम्र के बाद शरीर में इतने परिवर्तन होते है कि क्या बताएं!

पांडेय जी सुनने के मूड में नहीं थे,अगर बताने वाली कोई मिस स्वीट सिक्सटीन देविका गजोधऱ होती तो जरूर सुनते।पर ये महाराज आउट डेटेड ठहरें।पांडेय जी पल भर भी रुकना बड़ा चुभ रहा था।पर क्या करते!

सीनियर सिटीजन है,सो रिगार्ड देना बनता है।उनको भी लग रहा था,कि ये वह प्रजाति है जिनकी सुनवाई न घर में होती न ही बाहर।अब ये बुजुर्ग कहाँ जाए!

मंदिर,मस्जिद या गुरुद्वारा!

बहरहाल पांडेय जी ने कहा कि महाराज आपने अपनी बात तो रख ली,अब मेरी भी सुनिए।

मैं आपसे बीस वर्ष छोटा हूँ।आप सब काम धंधों से फ्री हो चुके है।मैं उन सब में उलझा हुआ हूँ।आप अपना ज्ञान अपने पास रखे।जब आप के ज्ञान की आवश्यकता होगी तो आपके पास आ जाऊंगा।अभी तो चलता हूँ।

वह जनाब सकपका गए।कि सामने वाले ने लताड़ दिया।पूरी बात भी नहीं सुनीं।

पांडेय जी लौट आये।उस जनाब ने पूरे बीस मिनट बर्बाद कर दिए।

घर आकर रामप्यारी ने कहा कि आज कहाँ अटक गए!

जल्दी जल्दी कहानी बता पांडेय जी नहाने चले गए।

कहने लगीं कि उसे बूढ़े के पास के बेंच पर बैठे ही क्यों!

गलती आपकी है।कल से इस बात का ध्यान रखना।जैसी आज्ञा देवी अन्नपूर्णा जी।

नहाते हुए पांडेय जी सोचने लगे कि जीवन क्या है!

उनका सोचना जब जारी होता है तो किसी रचना का जन्म होता है।यहाँ भी वही हुआ।

 

 

चेहरा पर चेहरा/लालित्य ललित

 

आदमी

अपने को इतना श्याना समझता है

कि

जैसे दुनिया में उसके सिवाय कोई दूसरा नहीं

वह एक चेहरा घर के लिए

एक समाज के लिये रखता है

कभी पूछ कर देखो तो

वह इतना सोचता क्यों है

उसके पास इस बात का कोई जवाब नहीं

मुस्करा भर देगा

ऐसे ही किसी एक से पूछ लिया

कि आप की गाड़ी को चले काफी समय हुआ

अब क्या करेंगे!

हँसता हुआ कहने लगा

किसी मिस्त्री को तीन सौ रुपये देंगे

वह पीछे मीटर खिसका देगा

डॉक्टर की गाड़ी कह कर सेकिंड हैंड गाड़ी वाला बेच देगा

वेरी सिम्पल

मैं सोचने लगा

कि बाजार कितना चतुर सुजान है

यदि आप सतर्क नहीं तो क्या पता

कौन कब आप की भी कीमत लगा बैठे!

सावधान रहिये

चेहरे पर चेहरा लिए लोगों के दल किसी शिकारी की तलाश में हैं।

 

 

बाहर से रामप्यारी की आवाज।कहाँ रह गए!

डायनिंग टेबल पर नाश्ता रख दिया है।मैले कपड़ें मशीन में डाल दो।दो दिन बाद करवा चौथ है।मुझे मार्किट छोड़ देना।

ठीक है,आ रहा हूँ।आजकल वैसे भी ट्रैफिक बढ़ गया है।ये दीवाली तक ऐसे ही रहने वाला है।

वोह तो है।बाहर से पांडेय जी को रामप्यारी की बड़बड़ाने की आवाज सुनाई पड़ रही है।

आज फिर पानी चला गया।

सुनती हो!

मोटर चला देना।पानी चला गया।

चलाती हूँ,बाबा।तुम भी न।

कल से जल्दी उठा करो।जब देखो आर्डर करते रहते हो,हाँ नहीं तो।बड़बड़ाती हुई रामप्यारी मशीन की तरफ दौड़ गई।

 

ब्रेक फ़ास्ट करते करते पांडेय जी ने मोबाइल पर फेसबुक खोला तो क्या देखते है कि दुनिया कहाँ से कहाँ पहुंच गई!

आप भी इनायत के साथ एंजॉय करें!

 

क्या कहते है आप ,हो गए न हम उन्नत

 

20 दिन पहले दिल्ली में एक हाई क्लास शादी में जाने का मौका मिला था।शादी डिजिटल थी।

स्टेज पे लिफाफा दिया जिसमें मैंने 2001 दिये,

तब मोबाइल पे एक *OTP*

आया .

उस*OTP* में  भोजन काउंटर नम्बर 1 लिखा था।

काउंटर 1 पर जाकर  *खाना* मिला, जिसमें 1 शाही थाली थी । मेन्यू में स्टफ तंदूरी रोटी ,  लच्छा परांठा, बटर गार्लिक नान, दाल मखनी, पालक-किशमिश, पनीर लबाबदार,  काजु करी, पनीर टिक्का, स्वीट्स में राजभोग, बादाम का हलवा,   वगैरह ,  केशर दूध, बादाम ठंडाई, सोने के वर्क चढा पान, वगैरह थे।

 

मैंने पूछा 2, 3, 4 व 5 काउंटर  पे क्या है ?

 

तो मेजबान ने जवाब दिया।

 

1101  वाले लिफाफे के लिए 2 नम्बर काउंटर।

 

501 ओर उससे ज्यादा वाले के लिए 3 नम्बर काउंटर है।

 

 4 नम्बर वाला उन लोगों के लिए है जिनके लिफाफे में 101 से 251 होंगे ।

 

मेने पूछा "तो  *5 नम्बर वाला 51 *  वाले लोगों के लिए होगा?" 

 तो मेजबान ने कहा हाँ, वहाँ से उनको  *जमेटो  का  *50%*  कैशबैक का *कूपन कोड*  मिलेगा । घर जाकर उन को ऑन लाइन  खाना मंगवाना  पड़ेगा।

 

 *डिजिटल* *शादी*

 

ये क्या! चाय कोल्ड ड्रिंक हो गई।आफिस जाओ और शाम को जल्दी आ जाना।पांडेय जी ने कहा कि जी देवी,जैसे ऑफिस मेरे बाप का है।आ जाऊंगा,ट्रैफिक में लड़ते- भिड़ते।

ओके,ओके।

मिलता हूँ शाम को।

 

शाम को झम्मन मियां टकरा गए छेदी लाल भंडारी से।आप नहीं जानते भंडारी को।अरे! वही जिसने पिछले दिनों दीवाली मेले में पेटीकोट ब्लाउज का स्टाल लगाया था।पहले किसी दफ़्तर में मुनीम था।रिटार्यड हो गया।खाली बैठ नहीं सकता था।इसलिए उन्होंने सोचा कि कुछ कर लेना चाहिए।सो अपना काम कर लिया।

उनसे पूछ बैठे एक जनाब-

 

रिटायरमेंट के बाद दो दोस्तों की मुलाकात हुई तो एक दूसरे का हाल पूँछने लगे।

 

नछत्तर सिंह: और भाई कैसे गुजर रहा है ?

 

भंडारी: सब खैरियत है। आपस में बहुत ही अंडरस्टैंडिंग है। सुबह दोनों मिलकर नाश्ता बनाते हैं, फिर बातों बातों में बर्तन धो लेते हैं।प्यार प्यार से मिल बांट कर सारे कपड़े धो लेते हैं। कभी वह किसी खास डिश की फरमाइश कर देती हैं और कभी मैं अपनी मर्जी से कुछ पका लेता हूँ। मेरी बीबी बहुत सफाई पसंद है, इसलिये घर की साफ सफाई मेरी जिम्मेदारी है।

 

फिर पहले ने दूसरे से पूछा, आप सुनाओ आपकी कैसे गुजर रही है ?

 

दूसरा : भाईजान बेइज्जती तो मेरी भी इतनी ही हो रही है। 

जितनी आपकी। लेकिन मुझे आपकी तरह  Power Point Presentation बनाना नहीं आता।😃

छेदी लाल ने कहा कि नछत्तर तुम्हें मैं जब से जानता हूँ तब से जब पूरे घर के कच्छे बनियान धोते थे,नछत्तर से रहा नहीं गया।दौड़ गया ये कहते हुए कि तुम्हारी भाभी ने समोसे मंगवाए है,उसका भाई आने वाला है।फिर मिलता हूँ,फुरसत में कभी।

छेदी को पता था कि नछत्तर वह प्राणी है जिसके पास कभी फुरसत होती ही नहीं।सोचता है कि दूसरों को तंग करता चलूं जब खुद की बारी आई तो कैसे भाग गया।

 

तभी पांडेय जी की घण्टी बज गई।लगे है पांडेय ही हेलो करने।मजाल है दूसरी तरफ से कोई बोल दें।बेहद दुखी है।तभी लल्लू भैया ने कहा कि क्या पांडेय जी!

आजकल सभी कम्पनियों के नेटवर्क का बुरा हाल है।कब तक नम्बर को पोर्ट कराते फिरोगे!

अब रहने दीजिए।ये बात भी सही है।

तभी लल्लू भैया ने कहा कि दयाल बाबू कहाँ है!

आजकल सीट पर नजर नहीं आते!

पांडेय जी ने कहा कि क्यों नजर आएंगे!

भैया ताजा-ताजा प्रमोशन हुई है।अभी कहाँ बैठेंगे!

आप नाहक चिंता न करें।आएंगे तो आपके आने की खबर कर दूंगा।जाइये खुश हो जाइए।आज तो जल्दी जाने की तैयारी कर रहे हैं महाराज!

लल्लू भैया ने कहा कि आज तो उनकी बेगम ने भी लम्बी उम्र के लिये करवा चौथ का व्रत रखा है।

पांडेय जी ने कहा कि रोज तो आप पांच बजे निकल जाते है,आज चार बजे निकल जाइए।त्योहार से बड़ा कुछ नहीं होता,महाराज।

लल्लू भैया को पता है कि अब पांडेय जी उन्हें खींच रहे है।

ये दुनिया भी न कमाल की है,कोई खींचता है तो कोई रोता हुआ दिखता है।

वाह रे दुनिया!

क्या पांडेय जी!

आज जल्दी नहीं जाना क्या!

वाट्सप के जवाब में टिप्सी मुटरेजा ने पूछ लिया।पांडेय जी ने कहा कि जाना तो है अभी जाने का समय कहाँ हुआ!

हम टेम पर जाने वाले बाबू है।आई बात समझ में!

टिप्सी ने कहा कि आपकी आप जानो,मुझे तो इतना पता है कि ट्रैफिक में फंस जाओगो मियां।

ओये! ये क्या! कोई तंत्र मंत्र सीख लिया क्या!

शुभ शुभ बोलो।बेमतलब में वाकई फंस गया तो सुनने को मिल जाएगा,भाषण।

नमस्ते।वाट्सप रखा।

तभी चिलमन ने कहा कि बाहर सुना है दयाल बाबू कह रहे थे कि पत्नी जी को नैतिक समर्थन देने के लिए वे निकल रहे है।

पांडेय जी भी सुनकर अलर्ट मॉड पर आ गए।

जाना भी चाहिए।करवा चौथ।महिलाओं का सालाना उत्सव।एक ही दिन तो मिलता है बेचारे पतियों को,जिस दिन उनकी पूजा अर्चना होती है।बाकी के दिनों में तो वह धुलाई होती है कि क्या बताए!

राधेलालजी तो खुद भुक्तभोगी है।उनकी पत्नी जी ने जो डांट पिलाई कि भूल बैठे कि उन्हें तो रिटायर हुए भी पांच साल हो गए।नहीं तो झोला उठा चल पड़े थे स्कूल की ओर।

उम्र के साथ साथ याददाश्त भी तो भूल बैठते है।इसलिए पत्नी जी ने उनके कुर्ते की जेब में घर का पता लिखा कागज रख छोड़ा था,यदि भूल भी गए तो कोई जेब टटोल कर घर तो छोड़ जाएगा।

पांडेय जी ने भी घर की राह पकड़ ली।

बेचारे पांडेय जी।अब उम्र ऐसी है और कहीं जा भी नहीं सकते।

 

*लालित्य ललित, दिल्ली




 













शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-


अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com


या whatsapp करे 09406649733



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ