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मिट्टी की दीवारें (कविता)




*श्रीमती मीना गौड़*

 

मिट्टी की दीवारें , टूटी छ्त ये कहती है ।

हम हुए पुराने , बच्चों दुनियाँ अब तुम्हारी है ।।

 

अंबर को छुते घर हों ।

पर गूंज हँसी की बिखेरे रखना ।।

 

जगमग हो रोशनी से घर सारा ।

पर सुर्य की किरणों को समेटे रखना ।।

 

कभी चांदनी रात में  ।

याद बिते पलों की करते रहना ।

 

जब याद आए वो अपने ।

तो चाँद में उन्हें देखते रहना ।।

 

रखना याद , बचपन अपना ।

बच्चों को भी ख़ुशियां देते रहना ।।

 

भीगने देना बारिश में ।

एक नाव कगज़ की बना कर देना ।।

 

ग़र हो मिलना पड़ोसियों से कभी ।

तो रिश्तों की डोर बांधे रखना ।।

 

जब मिले फुर्सत कभी ।

तो पिटारा यादों का खोलते रहना ।।

 

यादों की इस मिठी हलचल से ।

परिवार को संस्कारों में बांधे रखना ।।

 

उम्र के हर दौर को ,खुशियों से भरते रहना ।

छु लेना अंबर को , पर जड़ों को अपनी मत भूलना ।।

 

मिट्टी की दीवारें , टूटी छ्त ये कहती है ।

हम हुए पुराने , बच्चों दुनियाँ अब तुम्हारी है ।।

 

*श्रीमती मीना गौड़ " मीनू मांणक ",इन्दौर ( मध्य प्रदेश) 




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