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मातृभूमि (कविता)












*अजय कुमार द्विवेदी*


 


खुद अपने मुखमंडल से मै हृदय की पीड़ा गाती हूँ।


नेहरू  से  लेकर मोदी तक सबकी कथा सुनाती हूँ।


 


स्वतंत्रता  मिलते  ही मुझको गृहक्लेश मे झोंक दिया।


सत्ता पाने की खातिर मेरी छाती में खंजर घोंप दिया।


 


उस वक्त की पीड़ा क्या गाऊँ मै मुख से कराह नहीं पाई।


खून   से  लथपथ  मेरी  डोर  नेहरू  के  हाथों  में  आई।


 


देश मेरा तो बटा ही था कश्मीर भी आधा चला गया।


नेहरू जी के हाथों से एक  बार मुझे फिर छला गया।


 


गुलजारी लाल नंदा का क्या वो कुछ दिन को ही आए थे।


शास्त्री  जी  ने  पाकिस्तान  को  अच्छे सबक सिखाए थे।


 


शास्त्री  जी  ने  डोर  मेरी थामी थी मजबूती से।


शास्त्री जी की जान गई इस गन्दी राजनीति से।


 


इन्दिरा ने भी इकहत्तर मे अच्छा कदम उठाया था।


पाकिस्तान के टुकड़े कर के बांग्लादेश बनाया था।


 


चाहे मोरारजी देसाई हो या फिर चौधरी चरण सिंह।


चाहे  राजीव गांधी  हो  या  फिर  विश्व प्रताप  सिंह।


 


चन्द्र  शेखर  हो  चाहे  हो  पी वी नरसिम्हा राव।


एच डी देवगौड़ा रहे हो या इन्द्र कुमार गुजराल।


 


ये  सब  भी  मंत्री  रहे पर इन सबको मै क्या बोलूँ।


कुछ दिन ही तो रहे थे ये राज इनके मै क्या खोलूँ।


 


फिर अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार मुझे मजबूत किया।


कारगिल   वाला  युद्ध  उन्होंने  पाकिस्तान  से  जीत  लिया।


 


मनमोहनसिंह  की  बारी  आई  पर वो एकदम मौन रहे।


मेरे अन्दर की पीड़ा को आखिर किससे फिर कौन कहें।


 


नैनों  से  बहता  था  जल  घूंट घूंट कर मै जीतीं थी।


दबी-कुचली मै संसद के गलियारे में बैठी रहती थी।


 


संसद की चौखट पर एक दिन माथा टेका मोदी ने।


नजर उठा कर मेरी ओर बड़े प्रेम से देखा मोदी ने।


 


मुझको लगा की जीवन के अब कष्ट मेरे सब दूर हुए।


तभी   बाढ़   से   बच्चे   मेरे  मरने  को  मजबूर  हुए।


 


पर भरोसा है मोदी पर कुछ तो अच्छा करेंगे वो।


बिहार में आए संकट को जल्दी ही दूर करेंगे वो।


 


आज देखकर मोदी को फिर पाकिस्तानी घबराएं है।


370  हटा  जब  तो लगा शास्त्री जी वापस आए है।


 


सेना को मजबूत किया है और राष्ट्र धर्म अपनाया है।


बरसों  बाद  आज  मोदी  ने  मेरा  सम्मान बढ़ाया है। 


 


कई  बरसों  के  बाद  आज  मै फिर खुशी से झूमीं हूँ।


मुझे उन सब ने पहचान लिया मै जिनकी मातृभूमि हूँ। 


 


*अजय कुमार द्विवेदी,दिल्ली












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