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हिंदुस्तानी (कविता)











*सुरेश  शर्मा*

जात-पात  की  न मुझे  फिक्र  है'
न  जीवन  मे  मेरे  इसका कोई  जिक्र  है
हिन्दुस्तान  मे  रहने वाले  हम  सब '
सिर्फ  हिन्दुस्तानी धर्म  को मानते  है ।
हिन्द-- हिदू हिन्दुस्तान  का गुणगान करते है
इसलिए हम हिन्दुस्तानी कहलाते है ।
चिंता  न अब  हमे  मरने का  है
न  डरने  का अब  कोई  कारण   है
वीरो  की  भूमि  मे  पैदा  हुए  हम सब
वीरो  की  भाषा  को  समझते  है
हम हिन्दुस्तानी  वीरो की पूजा करते है
इसलिए  हम  हिन्दुस्तानी  कहलाते  है दिल
दिल  मे  धर्म  है , तन-मन  मे है  हिन्दुस्तान  ;
धर्म  के  प्रति  मेरी  आस्था  है
मगर  कर्म  के   नाम  से  मै  जाना  जाऊ ,
ऐसी  मेरी  अब ईच्छा  और  आकांक्षा है
रक्त  के कण- कण  मे हिन्दुस्तान  बसा  है,
इसलिए   हम हिन्दुस्तानी  कहलाते  है
हिन्दु- हिन्दुत्व   कोई  जात नही,
यह तो  हमारी   पुरानी  संस्कृति  है।
रंग न भेद कोई  आकार  है इसमे  ,
यह  तो सिर्फ  एक  अनुभूति  है ।
सभी  धर्मो  का मान  रखते  हैं हम,
इसलिए  हम  हिन्दुस्तानी  कहलाते  हैं ।
          
*सुरेश शर्मा,नूनमाटी,गुवाहाटी, मो8811033471











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