म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

तेरा यूं मुकर जाना (कविता)


*मीना अरोड़ा*


मेरा सवाल करना
और तेरा यूं
जवाब दिए बिना
चले जाना
अंदर तक शोर 
करता है तेरा यूं
ख़ामोश रह जाना।।


मर्ज मेरा सुनकर
वो आया 
पर 
ठहरा नहीं
कैसा लगता है
किसी का बेवजह
आकर चले जाना।।


बहुत नादान हूं
दिल की भी 
बहुत भोली हूं
क्यों होती हैं 
मोहब्बत में साजिशें
कभी फुर्सत हो
तो आकर समझाना।।


 दूर था वो 
 तो रुह को
सूकून था
मच गई दिल की
लहरों में हलचल 
अजीब सी
करीब आ के 
उसका यूं पलट जाना।।


वो,वो था
और इश्क, इश्क था
जब भेद यह जाना
हमें बेजार कर गया
दीवारों के 
गले लगकर
 सिसक जाना।।


हमें कब शौक था
तेरे पहलू में आने का
चला आया झोंका 
तेरी तपिश का
जरुरी था मेरा 
मोम बन कर
पिघल जाना।।


ना बातें कर तू 
जमाने भर के
बेवफ़ाओं की
छल मुझको 
भी जाता है
तेरा यूं वादा 
करके मुकर जाना।।



*मीना अरोड़ा,हल्दवानी,नैनीताल


 


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