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प्रेम अमर हो मेरा तेरा (कविता)



*विजय कनौजिया*


भाव विभोर हुआ मन मेरा
जब से साथ मिला है तेरा
सांसों में है खुशबू तेरी
होठों पर अब नाम है तेरा..।।

मेरे तो अब मनमंदिर में
तेरी ही तस्वीर बसी है
करता हूँ अब पूजा तेरी
मेरा अब ये जीवन तेरा..।।

गीत ग़ज़ल कुछ भी न भाए
तेरा होना मुझे सुहाए
होठों के गीतों में अब तो
जो है वो संगीत है तेरा..।।

मधुर मिलन से पुलकित मन है
देखे थे जो सपने सच हैं
अब न है कोई अभिलाषा
क्योंकि साथ मिला है तेरा..।।

चलो आज हम प्रेम पुष्प को
फिर से पुष्पित कर महकाएं
फिर महकेगा जीवन उपवन
प्रेम अमर हो मेरा तेरा..।।
प्रेम अमर हो मेरा तेरा..।।

*विजय कनौजिया,45 जोरबाग,नई दिल्ली-110003,मो0-9818884701



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