*नवीन माथुर पंचोली* पता उसने कभी पूछा नहीं था। मग़र वो रास्ता भूला नहीं था ठिकाना मिल गया आसानियों से, कभी उसने जहाँ देखा नहीं था। मुसाफ़िर या वो कोई राहबर है, जो राहे मोड़ पर भटका नहीं था। मिला वो जिस तरह आकर सभी से, वो जैसे हाल था वैसा नहीं था। ख़बर वो दूर की उसको पता थी, कि जिसका पास तक चर्चा नहीं था। *नवीन माथुर पंचोली,अमझेरा धार मप्र. मो.9893119724 शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है- अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com या whatsapp करे 09406649733 |
0 टिप्पणियाँ