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पता उसने कभी पूछा नहीं था (गजल)

 
















*नवीन माथुर पंचोली*

 

पता उसने कभी पूछा नहीं था।

मग़र वो रास्ता  भूला नहीं था

 

ठिकाना मिल गया आसानियों से,

कभी उसने   जहाँ देखा नहीं था।

 

मुसाफ़िर या   वो कोई राहबर है,

जो राहे मोड़ पर भटका नहीं था।

 

मिला वो जिस तरह आकर सभी से,

वो  जैसे  हाल  था  वैसा  नहीं था।

 

ख़बर वो  दूर की  उसको  पता थी,

कि जिसका पास तक चर्चा नहीं था।

 

*नवीन माथुर पंचोली,अमझेरा धार मप्र. मो.9893119724

 


 


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