*डॉ अनिल अनवर*
धरती पर कोई नहीं, है ऐसा इन्सान।
मिलें न जिस को मुश्किलें, इस जीवन में आन।।
पर कोई मुश्किल नहीं, भाई ! ऐसी मान।
हल करना जिस को न हो, कोशिश से आसान।।
दिल में ऊँची मंज़िलों, की बेशक रख चाह।
गुज़रेगी क़दमों तले, हर मंज़िल की राह।।
कर्म सदा अच्छे करें, सब की दुआ कमाय।
यह इक शाश्वत सत्य है, दुआ न खाली जाय।।
भूले से भी लें नहीं, कभी किसी की हाय।
यदि मिलती है बद्दुआ, कोई नहीं सहाय।।
ईश्वर ने तुम को दिये, चार-चार उपहार।
नहीं मानते क्यों सदा, तुम उस का आभार ?
समाधान हर प्रश्न का, छाया हेतु प्रकाश।
हर कल की इक योजना, दुःख में सुख की आस।।
वापस आता है सदा, जो देते हम-आप।
क्यों न दुआयें दें सदा, कभी न देवें श्राप।।
जीवन ईश्वर का दिया, सर्वोत्तम उपहार।
प्रातः उठ कर रोज़ यह, बात करें स्वीकार।।
*डॉ अनिल अनवर, संपादक-मरुगुलशन,जोधपुर
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