Subscribe Us

होठ पर आई तो दिल पे कोई दस्तक दे गया(गजल)


 

*डॉ. भावना कंवर*

 

लम्हा इक छोटा सा फिर उम्रे दराजाँ दे गया

दिल गया धड़कन गयी और जाने क्या-२ ले गया 

 

वो जो चिंगारी दबी थी प्यार के उन्माद की

होठ पर आई तो दिल पे कोई दस्तक दे गया  

 

उम्र पहले प्यार की हर पल ही घटती जा रही

उसकी आँखों का ये आँसू जाने क्या कह के गया  

 

प्यार बेमौसम का है बरसात बेमौसम की है

बात बरसों की पुरानी दिल पे ये लिख के गया  

 

थी जो तड़पन उम्र भर की एक पल में मिट गयी

तेरी छुअनों का वो जादू दिल में घर करके गया

 

*डॉ. भावना कंवर, सिडनी, आस्ट्रेलिया

 


 


शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-


अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ