उज्जैन। संसार में तीन प्रकार के मनुष्य होते है ,पहले जो चाहते है मुझे सुख हो, दूसरे जो चाहते है हमें सुख हो, और तीसरे वे जो चाहते हैं सभी सुखी हो। जो सबके सुख को चाहते है वे मोह से रहित होते है। मोह ही जीवन में भय उत्पन्न करता है और मोह ही मृत्यु का कारण भी बन जाता है। जहॉ तक मोह प्रबल है हम सही रास्ते को प्राप्त नहीं कर पाते। यह बात स्वाध्याय प्रेमी आचार्य भगवंत श्री जगच्चन्द्रसूरी जी महाराज साहब ने रविवार को विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट के सभागार में आयोजित प्रवचन के दौरान कही।
आचार्य श्री ने कहा कि संसार मोह है, जो हेय है और परमात्मा का शासन उपादेय है। मोह को त्यागने के लिए ज्ञान जाग्रत करना जरुरी है। प्रवचन में आचार्य श्री कल्पयशसूरी जी महाराज साहब ने कहा की सम्यक ज्ञान ही सम्यक दर्शन उत्पन्न करता है। सम्यक दर्शन से समता का भाव पैदा होता है जो कि जीव को मोक्ष मार्ग पर ले जाता है। सम्यक दर्शन के बगैर की गई सारी क्रियाएँ निष्फल हो सकती है। प्रवचन के दौरान श्री संभवनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट सहित नगर के कई संघों से धर्मालुजन उपस्थित रहे।
आचार्य श्री सोमवार को श्री ऋषभदेव छगनीराम जैैन तीर्थ पेढ़ी पर पधारेंगे। यहॉ उनके प्रवचन प्रात: 9:15 बजे से होगे। आचार्य सहित 35 साधु साध्वी जी का चातुर्मास इस वर्ष उज्जैन में श्री हीरविजयसूरी जी बड़ा उपाश्रय खाराकुंआ पर हो रहा है। चातुर्मास का मंगल प्रवेश 2 जुलाई को होगा। जिसका भव्य सामैया प्रात: 8 बजे श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर अरविंद नगर से प्रारम्भ होकर विभिन्न मार्गों से होता हुआ श्री हीरविजयसूरी जी बड़ा उपाश्रय खाराकुंआ पर पहुंचेगा और यहॉ धर्मसभा का आयोजन होगा।
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