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कविता समाज से उपार्जित अनुभूतियों का शाब्दिक रुपांतरण है - जितेन्द्र निर्मोही


कोटा। एस आर रंगनाथन सभागार राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय कोटा में कवियत्री गरिमा राकेश गौतम गर्विता की दो काव्य कृतियों "शुभाशंसा " और "एक उम्र चुराकर लाऊं" का लोकार्पण किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राकेश गौतम चिकित्सा अधिकारी कोटा विशिष्ट अतिथि बजरंग लाल गौतम मनोज सिंह, शिव सिंह साहित्यकार ग्वालियर थे। आयोजन के मुख्य वक्ता विजय जोशी और अध्यक्षता जितेन्द्र निर्मोही द्वारा की गई।

जितेन्द्र निर्मोही ने कहा कि कविता समाज और प्रकृति आदि को देखकर उपजती है। कविता मनुष्यता की पहचान है जो अपने समय की संस्कृति को निरुपित करती है। सच्चे मानो में कविता समाज से उपार्जित अनुभूतियों का शाब्दिक रुपांतरण है। जब मंच पर देवराज दिनेश आत्म प्रकाश शुक्ल, रमानाथ अवस्थी,भारत भूषण जैसे कवि होते थे तो लगता था जैसे कोई सारस्वत यज्ञ को सम्पन्न किया जा रहा है। उस समय रामरिख मनहर कवि सम्मेलनों का संचालन किया करते थे। और कहा करते - कविता लिखना सहज नहीं है पूछलो इन फनकारों से,यह सब लोहा काट रहे हैं कागज़ की तलवारों से। वर्तमान दौर में शब्दों का व्यवसायीकरण हो गया है,जो चिंतनीय है।समाज को ऐसे लोगों की पहचान कर शब्द साधना में समर्पित लेखकों का सम्मान करना चाहिए।मुख्य वक्ता विजय जोशी ने कहा कि लोकार्पण समारोह का वातावरण ऐसा हो कि लगे आप रचनाकार से रुबरु हो रहे हैं। नगर के साहित्यकार बंधुओं का दायित्व है कि ऐसे समारोह में न केवल अपनी भागीदारी दें बल्कि वक्ताओं को ध्यान से सुनकर कृतियों के अंतस तक पहुंचे । गरिमा राकेश की कृतियां अपने गुरु और जीवन साथी को समर्पित है।इक उम्र चुराकर लाऊं कृति प्रेम के उस प्रवाह में संचारित है। जहां प्रेम के साथ आस्था का भाव सघनता से देखा जा सकता है। दूसरी कृति शुभशन्सा सूक्तियों का निरुपण है। आयोजन को कृतिकार की मां संतोष गौतम द्वारा भी संबोधित किया गया। संचालन स्नेहलता शर्मा द्वारा किया गया। कृतिकार का सम्मान महेश पंचौली सचिव " रंगितिका" संस्थान के साथ सदस्यों द्वारा किया गया।

समारोह का प्रारंभ रेणुका सिंह राधे की सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत वक्तव्य हेमराज सिंह हेम द्वारा किया गया। आयोजन में शहर के साहित्यकार आनंद हजारी,जे पी मधुकर, संजय शुक्ला, प्रार्थना भारती, श्यामा शर्मा, डॉ वैदेही गौतम सहित परिजनों, संस्थाओं के प्रतिनिधि, डॉ शशि जैन व मंडल पुस्तकालय कोटा के शोध कर्ताओं की उपस्थिति रही।

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