म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

पिता वो है -योगेन्द्र कुमार बैनाड़ा


पिता वो ,जो संघर्ष भरा जीवन जीता है सिर्फ इसलिये,
ताकि जी जाये वो सकून से जिनका वो पिता है।

पिता वो, जो काँटों भरी राह चलता है सिर्फ इसलिये,
ताकि उनकी राह निष्कटंक हो जिनका वो पिता है।

पिता वो, जो खुशी मे खुश तो हो सकता हे,पर रो नहीं सकता दु:ख मै,
ताकि वो दुःखी ना हो जिनका वो पिता है।

पिता वो, जो मरने से भी डरता हे सिर्फ इसलिये,
ताकि मझदार मे ना आ जाये उनका जीवन जिनका वो पिता है।

पिता वो , जो सब कुछ करके भी भी खुद कुछ नहीं चाहता सिर्फ इसलिये,
ताकि सब कुछ मिल जाये उनको जिनका वो पिता है।

तो पिता वो जीवन का आधार है, जिसके बिना जीवन निराधार है।
तो कभी नाराज,दुःखी, निराश ना हो हमसे।

क्योकि उनके त्याग,समर्पण,आशीर्वाद से सुखी हमारा संसार है।



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