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कथाकार मालती जोशी का निधन


हिन्दी साहित्य में कहानी विधा को समृद्ध करने वाली मूर्धन्य लेखिका श्रीमती मालती जोशी का 15 मई 2024 बुधवार को 90 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया । हिन्दी एवं मराठी में 60 से अधिक कृतियों का सर्जक मालती जी को उनके साहित्यिक योगदान के लिये पद्मश्री अलंकरण से विभूषित किया गया था ।

मालती जोशी का जन्म 4 जून 1934 को औरंगाबाद में हुआ था। आपने आगरा विश्वविद्यालय से वर्ष 1956 में हिन्दी विषय से एम.ए. की शिक्षा ग्रहण की। आपकी कहानियों, बाल कथाओं व उपन्यासों का विभिन्न भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया। कई कहानियों का रंगमंचन रेडियो व दूर दर्शन पर नाट्य रूपान्तर भी प्रस्तुत किया गया है। आपकी कहानियों पर जया बच्चन द्वारा दूरदर्शन धारावाहिक सात फेरे का निर्माण किया गया तथा गुलज़ार के दूरदर्शन धारावाहिक "किरदार" एवं भावना धारावाहिक में शामिल की गयीं। लम्बे अर्से तक भोपाल में रही मालती जी को मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा वर्ष 1995 में अपने सर्वोच्च सम्मान "अक्षर आदित्य" से तथा वर्ष 1998 में मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा "भवभूति अलंकरण" से विभूषित किया गया था । मालती जोशी जी की कहानियों का दायरा काफी विस्तृत है । उन्होंने जीवन की छोटी छोटी अनुभूतियों और स्मरणीय क्षणों को बड़ी खूबसूरती से अपनी कहानियों में पिरोया है । उनकी कहानियाँ अपने आसपास बिखरे जगत के सुख दुख को बयाँ करती हैं इसलिये वे जन जन के मन को छूने वाली होती हैं।

उनकी प्रमुख कथा कृतियाँ हैं - मध्यांतर, पटाक्षेप, पराजय, एक घर सपनों का, विश्वास गाथा, शापित शैशव तथा अन्य कहानियाँ, पिया पीर न जानी, औरत एक रात है, रहिमन धागा प्रेम का, परख, वो तेरा घर ये मेरा घर, मिलियन डॉलर नोट तथा अन्य कहानियाँ, ऑनर किलिंग और अन्य कहानियाँ, स्नेह बंध ।

उनकी कहानी कहने की विशिष्ट शैली श्रोताओं को सदैव प्रभावित करती रही । देश के अनेक विश्वविद्यालयों में उनके रचनाकर्म पर किये गये शोधों पर अनेक शोधार्थियों को डाॅक्टरेट की उपाधि प्रदान की गयी थी । ज्ञातव्य है कि साहित्यकार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी उनके सुपुत्र हैं जिनके आवास पर उनका निधन हुआ। मध्यप्रदेश लेखक संघ कि ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।

डाॅ. राम वल्लभ आचार्य 
(मध्यप्रदेश लेखक संघ के प्रदेशाध्यक्ष)

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