Subscribe Us

दया के सागर दया करेंगें (कविता) -मनोज जैन मनोकामना


वृक्ष मन का हरा करेंगें,
व राम सबका भला करेंगें
दया के सागर दया करेंगें,
दया के सागर दया करेंगें।।

कभी तो चमकेगा मन का दर्पण
कभी तो होंगे हमें भी दर्शन
जो राम का जप किया करेंगें
दया के सागर दया करेंगें 

जो राम से लौ लगा चुके हैं
उन्हें जो अपना बना चुके हैं
वो राम दर्शन किया करेंगे
दया के सागर दया करेंगें

अटूट बंधन धर्म के हैं सब
ये खेल अच्छे कर्म के हैं सब
जो भक्ति- धुन में रहा करेंगें
दया के सागर दया करेंगें

जो सीधे रस्ते बता दिए हैं
जो भक्ति दीपक जला दिए हैं
युगों युगों वो जला करेंगें
दया के सागर दया करेंगें

नयन में वो ही छुपे हुए हैं
वही तो मन में बसे हुए हैं
उन्हीं के दर्शन किया करेंगें
दया के सागर दया करेंगें

कभी ना संकट में वो पड़ेगें
दुखों से डटकर के वो लड़ेगें
जो नाम उनका लिया करेंगें
दया के सागर दया करेंगें

लगन उन्हीं से लगी रहेगी
ये ज्योत मन की जली रहेगी
अंधेरे जो है छटा करेंगें
दया के सागर दया करेंगें

न हों जब तक तुम्हारे दर्शन
सफल न होगा हमारा जीवन
नयन से आंसू बहा करेंगें
दया के सागर दया करेंगें

दया की दृष्टि अगर उठेगी
कलम को शक्ति अगर मिलेगी
भजन तुम्हारा लिखा करेंगें
दया के सागर दया करेंगें

-मनोज जैन मनोकामना,झाबुआ

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ