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धूल शीर्ष पर जाये साधो (कविता) -कैलाश मनहर


धूल शीर्ष पर जाये साधो,
सब ऊँचाई धूल से नीचे धूल हमें समझाये साधो

उड़ आँखों में गिरे अचानक अँधेरा कर जाये साधो
चक्रवात में मिल जाये तो राजमहल पर छाये साधो

नहाये-धोये उज्ज्वल तन पर पल भर में जम जाये साधो 
जिनके मन में मैल भरा है उसको मुँह पर लाये साधो

जो भी करे धूल से धोखा धूल माँहिं मिल जाये साधो

-कैलाश मनहर,मनोहरपुर(जयपुर-राज)

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