बाजारों में भीड़
दीवारों पर झूलती
बिजली की लड़ियां
खील बताशे
मोमबत्ती दिये
बताते है त्यौहार का अर्थ
कोराेना के बाद बाजारों में रौनक हैं
जबरदस्त भीड़ है
बल्कि यूं कहिए
कि रेले है
कहां जाएं और कहां नहीं
बच्चों के मन में है
पटाखे फोड़ने है
घर का कहना है
खील बताशे
मोमबत्ती दिये
बताते है त्यौहार का अर्थ
कोराेना के बाद बाजारों में रौनक हैं
जबरदस्त भीड़ है
बल्कि यूं कहिए
कि रेले है
कहां जाएं और कहां नहीं
बच्चों के मन में है
पटाखे फोड़ने है
घर का कहना है
प्रदूषण नहीं करना
राजनीतिक आंकड़े
राजनीतिक आंकड़े
कुछ और कहते है
मतलब सारा खेल
मतलब सारा खेल
रोशनी के बहाने शोर का है
कालोनी से सटी
कालोनी से सटी
झुग्गी बस्ती में बैठा
कलुआ सोचता है
महंगाई को देखें
तो क्या घर ले आएं
महंगाई को देखें
तो क्या घर ले आएं
मिठाई,खिलौने और कपड़े
कोई एनजीओ वाला दे गया
मिठाई, दीये और कपड़े
कलुआ का कहना है
सबका भगवान ही मालिक है
दीवाली हर साल आती है
खुशियां लाती हैं पैसे वालों के लिए
गरीब आदमी सोचता रह जाता है
उसके बच्चे घूमते है अगली सुबह
अधजले पटाखों को ढूंढने के लिए
किसी ने कहा
दीवाली तो साहब रोशनी का है
जब दिलों में अंधेरा हो,
नफरत के जाले हो
तो कोई क्या कहेगा
सोचिएगा
कहीं दूर से बजने लगे पटाखे
बच्चे कहां मानते हैं
दिल्ली में नहीं मिलेंगे तो
तो कोई क्या कहेगा
सोचिएगा
कहीं दूर से बजने लगे पटाखे
बच्चे कहां मानते हैं
दिल्ली में नहीं मिलेंगे तो
दुकानदार पड़ोसी शहर की
सीमा से ले आएंगे......
-लालित्य ललित,नई दिल्ली
-लालित्य ललित,नई दिल्ली
1 टिप्पणियाँ
बहुत सुन्दर - किशोर श्रीवास्तव
जवाब देंहटाएं