म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

दीपक बनना सबकी चाहत (गीत) -कैलाश सोनी 'सार्थक'


दीपक केवल शब्द नहीं है इसकी अनुपम कीमत है।
है अखंड दीपक का जलना,पावनता की इज्जत है।

दीपक ने मानव जीवन में उजियारे का सार लिखा।
दीपक ने पर्वों की महिमा का सच्चा आधार लिखा।
दीपक जिस दर पर जलता है, खुशियाॅं उस दर वास करें।
सच पूछो तो दीपक हर ऑंगन की बड़ी जरूरत है।

लोग करें दीपक की इज्जत,इसका यह परिणाम दिया।
इसीलिए अपने बेटे को,कुलदीपक का नाम दिया।
दीपक ने अपनी गरिमा से,दूर किया ॲंधियारे को।
नगद चुकाए ब्याज सहित ही,दीपक ऐसी दौलत है।

पूजा पाठ हवन में दीपक,रखना बहुत जरूरी है।
दीपक जलता दुख से रखता,हर मानव से दूरी है।
देव वहाॅं आकर खुश होते,दीप जहाॅं पर जलता हो।
दीपक बनना सबकी चाहत,दीपक की वह सीरत है।

-कैलाश सोनी 'सार्थक', नागदा

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