Subscribe Us

पूछ लिया करते हैं (ग़ज़ल)


पूछ लिया करते हैं जब वो कैसे हैं।
ज़ख़्म हमारे कहते हैं तब अच्छे हैं।

काफ़ी दिन से दिल बेहद ख़ुश है सो हम
आज तभी तो 'जौन' को पढ़ने बैठे हैं।

तेरी नज़्र में अच्छे हैं सो फ़िक़्र नहीं
दुनिया की ख़ातिर हम चाहे जैसे हैं।

सूरत पे मरने वालों हुशियार रहो
उजले चेहरे वालों के दिल काले हैं।

आज बना हूँ बाप तो ये मालूम हुआ
मेरे बाप ने हम सब कैसे पाले हैं।

उस ज़ालिम की याद दिलाता रहता है
ज़ख़्मे दिल को रोज कुरेदा करते हैं।

वैसे तो बत्तिस की बत्तिस अच्छी हैं
'राम' मग़र हम बहरे मीर में लिखते हैं।

-राम जींदिया (हरियाणा)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ