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समय का चक्र (नवगीत) -अशोक आनन

सतत है गतिशील -
समय का चक्र ।

बहुत कठिन है -
साधना का पथ ।
आरूढ़ होना है -
समक्ष खड़ा रथ ।

बहाव है अनुकूल -
हुआ न वक्र ।

भक्त हो , मिलेगी -
भावना को भक्ति ।
साधक हो , मिलेगी -
साधना को शक्ति ।

बुध , वृहस्पति -
शुभ है शुक्र ।

धर्म ध्वजाओं का -
है आरोहण - पर्व ।
शीश हुआ उन्नत -
सत्य को है गर्व ।

तपस्या से प्लावित -
होगा कभी वज्र ।

-अशोक आनन, मक्सी

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