होकर उल्लू पर सवार , माँ लक्ष्मी चली सबके द्वार। यश, धन की करती बरसात, शीतल हवा मंद-मंद गाये मल्हार, रजनी प्रहर सोने का रथ, पालकी चांदी की धन की देवी हुई सवार । रिद्धि-सिद्धि के दाता , गणेश को ले संग साथ चली , खुशियों की टोकरी भरने, कुबेर महाराज ,लक्ष्मी, लगती सबको भली । धनतेरस का त्यौहार आया, जीवन में शुभ-लाभ लेकर छाया , अमीरी-गरीबी का भेद मिटाकर, जीवन में अपार खुशियॉं लाया। बड़ों का सदा आशीर्वाद रहे, धन की सदा होती बरसात रहे , दुख ,विपत्ति ,दुर्गुण रहे दूर, माँ लक्ष्मी का घर में निवास रहे ।
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