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होकर उल्लू पर सवार (कविता) -प्रतिभा पाण्डेय 'प्रति'


होकर उल्लू पर सवार ,
माँ लक्ष्मी चली सबके द्वार।
यश, धन की करती बरसात,
शीतल हवा मंद-मंद गाये मल्हार,
रजनी प्रहर सोने का रथ,
पालकी चांदी की धन की देवी हुई सवार ।
रिद्धि-सिद्धि के दाता ,
गणेश को ले संग साथ चली ,
खुशियों की टोकरी भरने,
कुबेर महाराज ,लक्ष्मी,
लगती सबको भली ।
धनतेरस का त्यौहार आया,
जीवन में शुभ-लाभ लेकर छाया ,
अमीरी-गरीबी का भेद मिटाकर,
जीवन में अपार खुशियॉं लाया।
बड़ों का सदा आशीर्वाद रहे,
धन की सदा होती बरसात रहे ,
दुख ,विपत्ति ,दुर्गुण रहे दूर,
माँ लक्ष्मी का घर में निवास रहे ।

-प्रतिभा पाण्डेय 'प्रति',चेन्नई

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