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प्यार (लघुकथा) -डाॅ वाणी बरठाकुर 'विभा'


सीमा खाना बना रही है । डोरबेल की आवाज सुनाई दी। दरवाजा खोलकर देखी संगीता आई है। "अरे संगीता, आओ आओ, वाह! बहुत सुन्दर लग रही हो । मनाली से कब आई?" सीमा संगीता को देखकर खुशी से एकाएक चिल्लाकर बोल उठी । सीमा और संगीता बचपन की सहेली है । संगीता को ले जाकर अंदर बिठायी । संगीता ने बोली "हम लोग परसों ही मनाली से आए है । देखो तुम्हारे लिए क्या लाई हूँ ! तुझे क्या बताऊँ सीमा, मनाली इतना सुंदर , जगह पूछो मत , हम दोनो ने बहुत मस्ती की । " "तुम भाग्यशाली हो, तुम्हे जो इतना प्यार करने वाला और ख्याल रखने वाला पति मिला । तुम्हे इतने जगह घुमाया है । मेरी नसीब में ये सब कहाँ ? मुझे तो सिर्फ कभी कभी बाजार लेकर जाते है । आज तक एक फिल्म दिखाने नहीं लेकर गए है । " सीमा ने दुख भरी सुर से बोली । दोनों में बहुत सारे बात हुई । चाय नाश्ता करके संगीता चली गई ।

सीमा हमेशा सोचती रहती है कि संगीता अपनी मैरिड लाइफ में इतना एन्जॉय करती है । मगर सीमा तो कुछ भी नही कर पाती । कभी कभी पति राजेश पर गुस्सा आता था, वो सिर्फ ऑफिस और जरूरी जगह के अलावा कहीं जाने की बात ही नहीं करते है । सीमा कभी-कभी कहती है कि दोनो कहीं घूमने चलते है । मगर राजेश अक्सर बात को ताल देते है, कहते है घर परिवार पर ध्यान दें । संगीता अक्सर पति के साथ घूमने जाते है और कपड़े गहने खरीदते ही रहती है । जब भी सीमा से मिलती है वो अपने पति नन्दन के बारे कहते नहीं थकती थी । नन्दन वो है, नन्दन ये है , नन्दन उसे बहुत प्यार करते है । उनके बिना नन्दन जी नहीं सकेंगे , वगैरह वगैरह । ये सब सुनकर सीमा अपनी और राजेश के बीच जैसे प्यार नहीं है, ऐसा महसूस होता था ।

कई महीने हो गये । संगीता से सीमा की मुलाकात नही हुई है । सीमा ने कई बार फोन भी की, मगर फोन भी नहीं लगता है । एकबार तो उनसे मिलने के लिए घर भी गई, मगर घर के मालकिन ने बताया कि वो लोग ये घर छोड़कर कही चले गए । सीमा सोचती रही संगीता को क्या हो गया है ।

एक दिन अचानक सीमा को बाजार में संगीता मिल गई । संगीता ने सीमा को देखते ही गले लगाया । एकाएक दोनो के आँखे भर आए । "क्या हुआ है संगीता? इतनी दुबली-पतली हो गई हो, सब खैरियत से तो हो न? " सीमा ने बोली । संगीता ने बोली "कुछ भी ठीक नहीं "। सीमा ने बोली "चलो चलो हमारे घर जाकर बात करती हूँ ।"

दोनो सीमा के घर आये । सीमा ने संगीता को खाना खिलाया । संगीता बोलने लगी " पता है सीमा...नन्दन बहुत बदमाश है, उनके दूसरी औरतो के साथ चक्कर है, और तो और वो लाइफ एन्जॉय करते करते न जाने कितने कर्जे दूबे है । धीरे-धीरे मुझसे उसका मन भरने लगा तो रोज कुछ न कुछ बातों को लेकर मुझसे झगड़ा करते है और मारते पीटते है । इसलिए मैंने उनको छोड़ दिया । अब मैं माँ के यहाँ ही रहती हूँ । एक जगह कुछ कर्ज थे बस आज वही लौटाने आयी हूँ "। सीमा ने बोली "इतना कुछ हो गया और मुझे एक बार भी नहीं बोली । सुनकर बहुत दुख हुआ । तू धीरज रख सब ठीक हो जाएगा । उसे किए का सजा मिल जाएगा । " संगीता ने बोली "तुझे कैसे बताती, मैं खुद से शर्मिंदा हूँ । क्योंकि मैंने तुझे तो बोला था कि नन्दन मुझे बहुत प्यार करते है । " सीमा ने बोली "ठीक है कोई बात नहीं, तू चिंता ना कर समय सब ठीक कर देगा । " संगीता ने बोली "तेरा क्या हाल है बता? " सीमा ने बोली, "मेरा एक खुशखबरी है । मैं माँ बनने जा रही हूँ ।" अरे.... अरे.... ये तो बहुत खुशी की बात है । अब खुद का ध्यान रखना ।" "हाँ , रख रही हूँ । राजेश भी रख रहे है ।" सीमा ने बोली । कुछ देर बाद संगीता चली गई ।

एक दिन सीमा शाम को बाथरूम में गिर गई । वो एकाएक बेहोश हो गई । जब होश आया देखा वो अस्पताल के बैड पर है और उसके पास राजेश बैठे बैठे सो रहे है । उसे संगीता की याद आई और सोचने लगे कि असल में प्यार क्या है....राजेश के प्रति उनकी सम्मान और प्यार बढ़ने लगी ।

-डाॅ वाणी बरठाकुर 'विभा' ,असम

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