ज़हर है आजकल हवाओं में
लगी है आग सब दिशाओं में
रोज़ बीमारी बढ़ती जाये है,
कुछ असर ही नहीं दवाओं में
हाय झगड़े ये धर्म ओ मज़हब के,
जंग प्रभुओं में और ख़ुदाओं में
हक़-ए-इंसाफ़ की जरूरत है,
हर बशर की दिली सदाओं में
अम्न-ओ-ईमान माँगता है बस,
हरेक दीवाना अब दुआओं में
-कैलाश मनहर,मनोहरपुर,जयपुर
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