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ज़हर है आजकल हवाओं में (ग़ज़ल) -कैलाश मनहर


ज़हर है आजकल हवाओं में 
लगी है आग सब दिशाओं में 

रोज़ बीमारी बढ़ती जाये है,
कुछ असर ही नहीं दवाओं में

हाय झगड़े ये धर्म ओ मज़हब के,
जंग प्रभुओं में और ख़ुदाओं में

हक़-ए-इंसाफ़ की जरूरत है,
हर बशर की दिली सदाओं में

अम्न-ओ-ईमान माँगता है बस,
हरेक दीवाना अब दुआओं में

-कैलाश मनहर,मनोहरपुर,जयपुर

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