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इस बार मनाएं दीवाली (कविता) -डाॅ रमेशचंद्र


हर साल मनाते दीवाली
हर हाल मनाते दीवाली
इस बार मनाएं दीवाली
रह जाए सबको याद दीवाली।

किसी के आंसू पोंछे
किसी का दर्द अपनाएं
हमदर्द बने किसी के
दुखिया को सुख पहुंचाएं
हंसी खुशी के बीच में
बन जाए न उन्माद दीवाली
इस बार मनाएं दीवाली
रह जाए सबको याद दीवाली।

अपने सुख के खातिर
क्यों औरों का सुख छीने
जीवन का मक़सद़ तो है
औरों को भी दें जीने
लाई है उपहारों की
बहुत बड़ी तादाद दीवाली
इस बार मनाएं दीवाली
रह जाए सबको याद दीवाली।

उस जीवन का क्या ?
जो औरों की पीड़ा सहता
अपना दुख, अपनी पीड़ा
जो नहीं किसी से कहता
सबको खुशहाल रखें और
सबको रखें आबाद दीवाली
इस बार मनाएं दीवाली
रह जाए सबको याद दीवाली।

-डॉ रमेशचन्द्र, इंदौर

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