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भारत का सबसे प्राचीन संवत वीर संवत है -संदीप सृजन

वीर संवत 2550 पर विशेष-

विश्वभर मे वर्षगणना के लिए वर्तमान में जो सन या संवत मुख्य रूप से आज भी उपयोग में लाए जाते है उनमें ईसवी सन को ही अधिककांश लोग जानते है । लेकिन भारत की वर्षगणना परम्परा में और भी संवत है जो ईसा के पूर्व से प्रचलित थे।और आज भी प्रचलित है।

वर्तमान में ईसवी सन 2023 चल रहा है। लेकिन ईसा से 527 वर्ष पूर्व भारत में 'वीर संवत' प्रारम्भ हो चुका था और विक्रम संवत भी 57 ईसा पूर्व में ही प्रारम्भ हो चुका था। ये दोनों संवत आज भी प्रचलन में है। और वर्षगणना के लिए इनका उपयोग होता है। दोनों की गणना में महिनों के नाम या सौर मंडल के चक्र का कोई भेद नहीं है। केवल इतना अंतर है कि विक्रम संवत मालव सम्राट चक्रवती महाराजा विक्रमादित्य के विजय उत्सव दिवस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। जिसे वर्तमान में 2080 वर्ष हो गये है। और वीर संवत जैन धर्म के चौविसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के निर्वाण दिवस याने कार्तिक कृष्णा अमावस्या के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। वर्तमान में दीपावली 2023 के अगले दिन से वीर संवत 2550 प्रारम्भ हो रहा है।

महावीर निर्वाण संवत और विक्रम संवत दोनों ही भारतीय संवत है और प्रमाणिक भी है। वीर निर्वाण संवत और इसकी सर्व उपयोगिता की पुष्टि सुप्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता डॉ गौरीशंकर हीराचंद ओझा द्वारा की गई थी। वर्ष 1912 में अजमेर जिले में बडली गाँव (भिनय तहसील) से प्राप्त ईसा से 443 वर्ष पूर्व के एक शिला लेख जो कि प्राकृत में है उस पर "84 वीर संवत" लिखा है। यह शिलालेख अजमेर के 'राजपूताना संग्रहालय' में संग्रहित है।

इस प्राचीन षटकोणीय पिलर पर अंकित चार लाइनों वाले शिलालेख की प्रथम लाइन में "वीर" शब्द भगवान महावीर स्वामी को संबोधित है और दूसरी लाइन में निर्वाण से 84 वर्ष अंकित है, जो भगवान महावीर निर्वाण के 84 वर्ष बाद लिखे जाने को दर्शाता है। ईसा से 527 वर्ष पूर्व निर्वाण में से 84 वर्ष कम करने पर 443 वर्ष आता है जो शिलालेख लिखे जाने का वर्ष है।

भारतीय धर्मग्रंथों और ऐतिहासिक शिला पर प्राप्त तथ्यों के आधार पर यह पूर्णतः प्रमाणिक है कि भारत का सबसे प्राचीन प्रचलित संवत वीर संवत ही है।
-संदीप सृजन
(शब्द प्रवाह डॉट कॉम)

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