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मिट्टी के दिये के अलावा मिट्टी से बने बर्तनों का भी उपयोग करें -संजय वर्मा 'दृष्टि'


त्योहारों पर दीप प्रज्वलित करने का महत्व है। मिट्टी के दिये का उपयोग करने से दिये बनाने वालों को रोजगार उपलब्ध होता है। बजाए प्लास्टिक के दिये या अन्य पदार्थों से निर्मित दिये का उपयोग करने के। मिट्टी के दिये पर्यावरण हितैषी भी होते है। 

प्राचीन काल से ही मिट्टी के बर्तनों का होता था। मिट्टी के बने बर्तन में खाना बनाने से पौष्टिकता ,स्वाद के परिणाम बेहतर प्राप्त है और पीने के तरल पदार्थ मन को संतुष्टि देते है। उदाहरण के तौर चूल्हे पर मिट्टी की खापरी में रोटी व ,मिटटी की हांड़ी में सब्जी बनाने से स्वाद दुगना हो जाता है। मिट्टी के पात्र में दही ज़माने से दही बेहतर जमता है। मिटटी के पात्र में भरा जल शीतल और गले को तर करने वाला होता है| प्यास कम ही लगती है। कई जगह पर चाय के कुल्ल्ड में चाय दी जाती है। मिट्टी की सौंधी खुश्बू का स्वाद लगता है। मिट्टी के बर्तन में खाना बनने में समय अवश्य लगता है किंतु पोषक तत्व बरक़रार रहते है और स्वाद का अलग ही आनंद होता है। 

सप्ताह में एक बार ही सही मगर मिट्टी के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। पहले के समय में महिलाएं अपने बाल काली मिट्टी के संग छाछ मिलाकर बाल धोती थी।जिससे बाल चमकदार,होकर उनका निखार बढ़ जाता एवं बाल झड़ने से बच जाते। मिट्टी से स्वास्थ्य के हित मे उपचार भी किया जाता था। पर्यावरण जो बचाने एवम प्रदूषण को दूर करने हेतु मिट्टी से निर्मित विभिन्न वस्तुएं बनाने का चलन हुआ है।प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी वस्तुएं अब बाजारों से नदारद है। ये बातें तो सब जानते है किन्तु उपयोग की और ध्यान कम ही है। 

आधुनिकता में मिट्टी से बने पात्रों का उपयोग हर घरों में कम होने लगा। स्वस्थ रहने हेतु मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करना चाहिए।  मिट्टी से बनाने वाले कारीगर की कला बनी रहकर उनके रोजगार का पक्ष भी मजबूत होगा। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने की सोच विकसित करें एवं स्वाद ,पौष्टिकता का भी आनंद लेवे।
-संजय वर्मा 'दॄष्टि',मनावर (धार )

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