कुर्सी पाकर ही किया, हर सपना साकार
नेता की इच्छा सभी, लेती है आकार
नेता के मन में बसी, बस कुर्सी की चाह
पर होती उसकी नहीं, आसान यही राह
नेता का जिसने किया, उसका ही सम्मान
वो उसका ही बन गया, देखिये मेहमान
चुनाव आते ही मिले ,नए नए उपहार
नेताओं का बन गया, देखो ये आधार
पांच साल नेता करें, उठा पटक के काम
इसी तरह बिते उनकी, देखो हरेक शाम
नेताजी करते नहीं, कभी भी नेक काम
काम करें ये तो वही, जिससे होता नाम
नेता करते है नहीं, देखो कोई भूल
बतलाता है वो इसे, कांटो को भी फूल
आया चुनाव जीतकर, मेरा ये जगदीश
जनता का जिसको मिला, बहुत बड़ा आशीष
जो भी चलता है यहां, नेता के अनुकूल
माफ़ होती सब उसकी, यदि करता हो भूल
नेता अब ऐसा मिले, लावे खूब प्रकाश
अंधकार का आप करें, समूचा ही विनाश
-रमेश मनोहरा, जावरा
0 टिप्पणियाँ