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चार दिन की है कहानी (गीत)


चार दिन की जिंदगी है चार दिन की है कहानी।
चार पल खुशियों भरे ही जिंदगी की है निशानी।

कह गये हमको बड़े सब चार पैसे काम आते।
पास हो पैसे तभी तो लोग दुनिया में निभाते।
चार लोगों की कही हमने सदा ही बात मानी।

चार पढ़ लेते किताबें पाॅंव टिकते ही नहीं हैं।
साथ पा सबको बढ़े जो लोग दिखते ही नहीं है।
दंभ के पर लग गए दुनिया हुई अब तो सयानी।

अंत जब इंसान का हो साथ अपने काम आते।
मित्रता का कर्ज देखा अंत तक मन से चुकाते।
एक अर्थी चार लोगों को सदा देखा उठानी।

बात सच्ची कह गए हैं लोग दुनिया में सयाने।
जी खुशी से चार दिन ये जो मिले तुझको सुहाने।
लौटकर आती नहीं है बावरे वापस जवानी।

चार लोगों में रहे वो जानता परिवार क्या है।
एकता के प्यार सा जग में बड़ा उपहार क्या है।
है पता उसको सदा ही आन कुल की है बचानी।

चार मौसम जिंदगी को सार दे आधार देते।
पल सुखद ही जिंदगी को हर कदम आकार देते।
ये बनाई इस धरा की रीति ईश्वर ने पुरानी।

-कैलाश सोनी सार्थक, नागदा

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