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नाम है घड़ी (कविता)


कांटे की घूमती सिखाती
कहती बिन थमे
चलती हूं, हर दिन हर पल
नाम है घड़ी, बिन गति बदल

मेरी टिक टिक, आती है आवाज
समय है कीमती टिक टिक में कहती
समय, घड़ी, पल की दिलाती याद
न रुका न रुकेगा, कीमती पल साथ
घड़ी कहती समय पल घड़ी मत बदल।

मत रुक एक पल, मूल्यवान हर पल
समय व्यर्थ कर न आज, न कर कल
न समय न घड़ी न एक पल आएगा कल
नाम है घड़ी मेरा, चलती बिन गति बदल।

हर पल हर दिन रहती अविराम
बदलती नहीं बिल्कुल भी गति
समझो सीखो कर लो पल कीमती
नाम है एक घड़ी, कभी नहीं रुकती
समय घड़ी पल की जिमेवारी रखती

मैं रुकती नहीं, तू भी मत रुक,
कर्म करते बढ़ते कभी न थक
न थम न थक बस चल हर पल
बिन सांस, चलती हूं हर पल
हूं घड़ी, चलती हूं कांटे के बल
धूप बरसात न मौसम की बात

समय घड़ी में आये विध्न बाधा
न चिंता आज कर न कर कल
चलती हूं मै अविराम जैसे
नाम है घड़ी मेरा लगाती फेरा

कब निकल जाएगा समय पल
हिम्मत जुटाये बेधड़क चल
जिंदगी का पहिया घुमाता चल
हर समय कीमती मत ठहर एक पल

-ललित शर्मा,डिब्रुगढ़ असम

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