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वो दिखावे तमाम करते हैं


जो नहींं कुछ भी काम करते हैं।
वो दिखावे तमाम करते हैं।

रोज़ उसको सलाम करते हैं।
रोज़ उससे कलाम करते हैं।

पास आते नहीं कभी हरगिज़,
दूर से बस सलाम करते हैं।

रोज़ रैली बड़ी किया करते,
रोज़ जीना हराम करते हैं।

पीर ज़ाहिर में कुछ नहीं देते,
दूर दर्दो अलाम करते हैं।

-हमीद कानपुरी,कानपुर

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