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इतनी सी खुशी


जीवन के उतार चढ़ाव में ,संघर्ष और तनाव में खुशियां हमारे लिए ईश्वर की दी हुई सबसे खूबसूरत उपलब्धि है। जो महसूस करने से , दूसरों को देने से और अपनों में बांटने से बढ़ती हैं। जिसे दिल की गहराइयों से महसूस किया जाता हैं। कभी किसी की भोली मासूम हंसी, कभी किसी की महकती यादें,कभी कोई प्यारी सी अनुभूति, और हांथो का स्पर्श,नज़रों की मीठी छुअन,और कभी दो मीठे शब्द हमारे आनन्द और खुशियों को बढ़ा देते हैं।

खुशियां एक खूबसूरत अहसास है जो रिश्तों में ताजगी को जगा देती हैं। और अनजानों में भी अपनेपन की अनुभूति कराती हैं। खुशियाँ ही वह भाव है जो हमें एक दूसरे से जोड़े रखता हैं। कभी कभी सोई हुई या खोई हुई विस्मृत भावनाएं वक्त की आंधियों से हिल जाती हैं उन्हें पुनर्जीवित करने में खुशियों के छोटे बड़े पल रिश्तों को पुनः ताजे कर देते हैं।

हमारे पर्व और त्यौहार भी ढ़ेर सारी खुशियों के गुलदस्ते लेकर हमारे द्वार आते हैं।कई बार हम उमंग से दरवाजे खोलते हैं और कई बार हमारे बंद दरवाजे देखकर खुशियां लौट जाती है। मगर यह सच हैं कि खुशियां जब जब आती है ,एक नई सीख देकर जाती हैं। दीपावली ,दशहरा,होली, ईद,न्यू ईयर,क्रिसमस, वसन्तोत्सव,जैसे त्यौहार हमारे जीवन मे खुशियों के नए रंग बिखेर देते हैं।

खुशियां किसी मौके का इंतजार नही करती ,क्योकि यह हर दिल मे बसती है। पर कुछ लोगो की संकुचित सोच उनकी खुशियों पर भी उदासीनता की चादर बिछा देती हैं।

क्योंकि खुशियां ख़ुशगवार और ज़िंदादिल लोगो की मिल्कियत हैं । इसीलिये कुछ लोग मन का हुआ तो खुश और न हुआ तो दुखी हो जाते हैं। जबकि खुशियां बांटना भी खुश रहने का एक खूबसूरत तरीका है। और दूसरों की खुशियों में शुमार होना भी खुशदिल लोगो का सलीका हैं। साथ ही दूसरों के जीवन मे खुशियों के पल जुटाना भी जिंदादिली का नायाब तरीका होता हैं।

कहा जाता है कि खुशियाँ बाँटने से दुगनी ही नहीं बल्कि चौगनी हो जाती है। इसलिए इसे लेन-देन का व्यापार नहीं मानना चाहिए ,यह तो हमारी आंतरिक उपलब्धि है, जो अपनों के बीच आकर हम सबको प्यार के बंधन में बांधती है।

खुशियाँ हमेशा ऐसी होनी चाहिए, जिससे लेने वाले को देने वाले से ज्यादा आनंद मिले, इसीलिए इसे भौतिकवादिता से परे रखते हुए, इसके आत्मीय आनंद को महसूस करना चाहिए। अपनों को अपना बनाने के लिए, अपनत्व भरे स्पर्श और प्यार भरी झप्पी ही खुशियों का खजाना बन जाती है। दुसरों को सुख देने के लिए बेसहारों की और जरूरतमंद की हमेशा यथा संभव मदद कीजिये। गरीबों के होंठो की हंसी आपकी आँखों को भी नम कर देगी। अहंकार और आडम्बर से परे, महंगे तोहफों के बदले उनकी जरुरत की वस्तुएं उन्हें दीजिये बड़े-बुजर्गो को सुख-दुःख बाँटने के लिए खुशनुमा लम्हें दीजिये, उन्हें आत्मीयता भरा माहौल दीजिये,उनके बचपन वाले पप्पू, गुड्डू ,मुन्ना और गुड़िया बन जाइये फिर देखिए वे लाड़ प्यार की दौलत से आपको मालामाल कर देंगे। छोटे बच्चों के खिलौनों के साथ उनके खेल का भी हिस्सा बन कर देखिये,कभी लुका छिपी तो कभी कैरम, ताश पत्ते वाले दोस्त बन जाइये उनके साथी बनकर उन्हें मुस्कानों की सौगात देकर देखिये, खिलौने तो हर मां बाप देते ही है ,पर खुशियों के पल देकर बच्चों को खुश रहने की वजह दीजिये। फिर देखिये, छोटी छोटी खुशियां खुद आपके दामन में समां जाएँगी... कभी अपने झूठे अहम् को भूलाकर मन को बड़ा कर, अपने दोस्तों को ही नहीं, दुश्मनों को भी माफ़ी का उपहार दीजिये, क्योंकि यह खुशियाँ देने का सबसे प्यारा और नायाब सलीका है.......!

खुशियाँ देने का सुख ,जीवन में हर कदम पर मिल सकता है , इसे सिर्फ एक दो दिन मनाकर अपने कर्तव्यों की इति श्री मत कीजिये, क्योंकि खुशियाँ किसी सप्ताह या तारीख क़ी मोहताज नहीं होती, इसीलिए इसे हर पल, हर दिन, हर साल यूं कहिये ,जीवन-पर्यंत अपनों में बाँटिये , ताकि यह हजारों गुनी होकर आपके ही पास आकर ठहर जाये....।

-अर्चना नायडू, भोपाल (म.प्र.)

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