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तुम आयी हो


बहते पानी की तरह,
जीवन में तुम आयी हो।

भूमि पर वर्षा की पहली फुहार,
हरी लता का प्रसन्नता सा हार।
चपला सी बादल में लहरायी हो।

करोंदे के फूलों की सुगंध सी,
काव्य- छंद के सुकोमल संबंध सी।
हृदय आकाश में समन्दर सी गहराई हो ।

-हेमन्त कुमार शर्मा, कोना(हरियाणा)

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