म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

झूठा भी आयेगा (ग़ज़ल)


सच्चा भी आयेगा कभी झूठा भी आयेगा।
सोओगे गहरी नींद तो सपना भी आयेगा।

सुन्दर बहुत हैं वादियां कश्मीर की मगर,
आयेंगे राहगीर तो कचरा भी आयेगा।

साबित क़दम बढ़े चलो डर भूलभाल कर,
मंज़िल के रास्ते में तो सहरा भी आयेगा।

स्वागत करो सभी का बड़ी धूम धाम से,
ग़ैरों के साथ साथ ही अपना भी आयेगा।

समतल ज़मीन का नहीं है ये सफ़र हमीद,
उथलाभी आयेगा कहीं गहरा भी आयेगा।

-हमीद कानपुरी,कानपुर

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