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असम की बांस की कलाकृतियाँ


असम में यूं तो बांस की कमी नहीं है । अब यह कलात्मक सुंदर वस्तुएं निर्मित करने में वृहत रूप में व्यवहृत हो रहा है । कला को बढ़ावा देने में उपयोगी साबित हुआ है । प्रदूषण के खतरे में बांस सबसे सुरक्षित माना जाता है ।

इसे अब उत्सवों में व्यवहार में लाया जाना व कलात्मक कार्य दर्शाना, उसे बढ़ावा देना ख्याति अर्जित किया है । दुर्गापूजा के मंडपो की साज सज्जा में बांस की कला दर्शकों को आकृष्ट किये हुए है । ऊपरी व निचले असम में बांस बेंत जुट आदि से प्रतिवर्ष अधिकतम मंडपो की बढ़ती शोभा अब देश विदेश तक प्रचारित प्रसारित होने लगी है ।

असम में बांस के घर मकान फर्नीचर आदि तो बनते ही है, कलाकार की कड़ी मेहनत में बांस के आकर्षक मंडप
सजते है । प्रतिभाओं को उभारने का सुनहरा मौका दुर्गापूजा काली पूजा आदि अवसर पर मिल रहा है।इससे बढ़ती शोभा से दर्शकों का ध्यान मंडपो में खींच रहा है । बांस की कलाओं का नजारा असम की दुर्गा पूजा में लुभाने से नहीं चुकता है ।


कलाकार के बीच बाँस की कलाकृतियों को प्रदर्शित करने की एक वृहत प्रतियोगिता का दौर पूजा मंडपो का मुआयना करने पर साफ पता लगता है। बांस को काटकर छीलकर कलाकार छुपी कला का करामात मंडप में दर्शाने को बेताब होता है । कलाकार की मेहनत बांस के कार्य में इतनी पारदर्शी हुई है कि बांस की बनावट में पूजा मंडप का रूप सुदूर से दर्शकों को खींचता है । असम प्रान्त में दुर्गापूजा की धूम में अब एक से बढ़कर एक आकर्षक दुर्गापूजा के मंडपो में कला का नमूना साफ झलकता है । इससे कलाकार को निखरने में मदद रही है, रोजगार के साधन जुटाने में कई नए बेरोजगार कलाकार बांस की कला को पेश करके दर्शकों का ध्यान केंद्रित कर रहे । नए उभरते कलाकारों की संख्या में काफी परिवर्तन आया है । बांस का उत्पादन व उपयोगिता दोनों में बेशक काफी नई दिशा दिखा रहा है बांस ।इसका मूल्यांकन पूजा में कलाकार स्वयं अनुभव करने लगा है । दर्शकों की सराहना से कलाकार का हौसला कई गुणा बढ़ता जा रहा है ।

अपनी कलात्मक पद्धति से बांस के कार्य को काफी ऊंचा कर दिये है । कलाकार कला दर्शाने में काफी समय तक प्राण फूंकते है । स्थानीय व बाहरी कलाकार बांस के कार्य मे जुटे रहते है । असम मे शत प्रतिशत बांस के सहयोग से पूजा के मंडप कलाएं दर्शाने में काफी मशक्कत करते है ।

यहॉ के आयोजकों में उत्साह की कदापि भी कमी नही होती है । असम के अंदर सबसे उपयोगी सम्पदा है । स्वच्छता के प्रति यह काफी कामयाबी पाया है बांस । यह कलाकार को एक वृहत रोजगार भी प्रदान करके बेरोजगार से मुक्त भी कराता है । कई कलाकार जुड़कर बांस की कलात्मक वस्तुओं से करीब है ।

दुर्गापूजा के मंडप की शान खूब झलकती है । कई लोग कला को चयनित करने में परेशान भी नजर आते है । कलाकार की बारीकियों का होता काम काफी अधिक कलाकार को प्रोत्साहित किये दिखता है । बांस की पहचान में आयोजक अब पूजा मंडप को वोकल फ़ॉर लोकल पर अहमियत देते है । सबसे खास बात रहती है काफी लोगों के बीच अनेकानेक यह संदेश बाँस की कलात्मकता में फैलकर काफी लाभदायक साबित होते है ।
-ललित शर्मा, डिब्रूगढ़ असम

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