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सूत्रधार संस्था द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन


हैदराबाद। सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत, हैदराबाद द्वारा 44 वीं मासिक गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। संस्थापिका सरिता सुराणा ने उपस्थित सभी सहभागियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया। तत्पश्चात् संस्था के कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। नवरात्रि के शुभ अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम- नौ दिवसीय मातृ भक्ति गीत महोत्सव, भाग-4 के सहभागियों और संयोजिकाओं का हार्दिक आभार व्यक्त किया। यह गोष्ठी मातृ शक्ति को समर्पित थी। श्रीमती किरन सिंह ने स्वरचित सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। सभी ने उनकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

इस गोष्ठी में सम्मिलित श्रीमती ज्योति गोलामुडी जी ने स्त्रियों के सम्पूर्ण जीवन से सम्बन्धित कार्यों के बारे में बहुत ही संवेदनशील कविता का पाठ किया। बेंगलुरु से श्रीमती अमृता श्रीवास्तव ने- गरल की ये अदृश्य छोटी शीशियां/सबको पीना पड़ता है अपने हिस्से का गरल घूंट-घूंट जैसी सटीक और सार्थक रचना का पाठ किया। डॉ सी कामेश्वरी ने- माँ, माँ होती है/उसका पूरक कोई नहीं जैसी संवेदनशील कविता का पाठ किया, वहीं श्रीमती किरन सिंह ने माँ के लिए अपनी रचना- हे कलाकार! हे सृजनहार! तेरी कृपा मुझ पर अपार का बहुत ही सुन्दर ढंग से वाचन किया।

श्रीमती भगवती अग्रवाल ने अपनी कविता- माँ तो प्यार का समंदर है का पाठ किया तो श्रीमती आर्या झा ने- देख अपराजिता! एक बेल के परजीवी होने से आत्म निर्भर बनने के भाव को मानव जीवन से जोड़ कर बहुत ही संवेदनशील ढंग से अपनी रचना प्रस्तुत की। श्रीमती सुनीता लुल्ला ने माँ को समर्पित दो ग़ज़लों का वाचन किया- नींद में भी तू कभी बुलाती है माँ और बांहों में जो हमें सुलाती/थपक-थपक कर लोरी दे। ग्रेटर नोएडा से सुश्री ज्योत्सना चौहान ने पहली बार गोष्ठी में भाग लिया और अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की रचना- उठो लाल अब आंखें खोलो/पानी लाई हूं, मुंह धो लो कविता का पाठ किया और अगली बार स्वरचित रचना पाठ का वादा किया

सरिता सुराणा ने मजदूर बहनों को समर्पित अपनी रचना- नहीं झूले कभी सावन के झूले/नहीं देखे कभी तीज़ के मेले जैसी यथार्थपूर्ण और संवेदनशील कविता का पाठ किया। वरिष्ठ कवयित्री एवं गीतकार श्रीमती विनीता शर्मा जी और श्रीमती अर्चना मिश्रा जी गोष्ठी में श्रोताओं के रूप में उपस्थित थीं। संस्था की सचिव श्रीमती आर्या झा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ बहुत ही आत्मीयता पूर्ण वातावरण में गोष्ठी सम्पन्न हुई।

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