सौ दीपक एक मुस्कान
बिटिया तो घर की जान।
लाडली सबकी होती है
दादी नानी की पहचान।
बड़ी मम्मी बुलाते इनको
जब बातों से खींचे ये कान।
कुछ भी हो ,रखती हैं आखिर
ये बिटिया परिवार का ध्यान।
अपनी मधुर मुस्कान बिखेरती,
हर दुख को आंचल में सिमेटती।
रोशन कर देती है ये घर सारा
इनको दो तुम संस्कार और ज्ञान।
प्रेम की डोरी से बांधे ये घर को ,
स्नेह आनंद खुशियां इनसे अपार।
शिक्षित करो इन्हें तुम पहले ,
फिर करना इनका कन्या दान।
ये कोई सामान्य दान नहीं है,
बेटियां होती दो कुल की शान ।
घर बाहर की कंधो पर जिम्मेदारी
सम्मान की अब बिटिया की बारी ।
सिर्फ बिटिया दिवस नही मनाना है
शपथ लेने की अब हमारी हैं बारी ।
अपने पैरो पर खड़ी हो हर बिटिया
अब शिक्षित हर बिटिया हो हमारी।
-आशी प्रतिभा,ग्वालियर (म.प्र.)
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