म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

हम सब बालक हैं हिंदी के


प्यारी हिंदी अपनी, हिंदी सबसे प्यारी।
हम सब बालक हैं हिन्दी के, हिंदी है महतारी।।

जब अक्षर का ज्ञान भी न था, तबसे हिंदी बोली
हिंदी में की तू तू-मैं मैं, झगड़े और ठिठोली।
परी कथाओं जैसी अद्भुत, हिंदी राज दुलारी।
हम सब बालक हैं हिंदी के, हिंदी है महतारी।

अन्य बोलियों, भाषाओं की, हिंदी बड़ी बहन है।
बाकी, घर की दीवारों सी, तो हिंदी आँगन है।
विविध बोलियों के पुष्पों की, हिंदी सुंदर क्यारी।
हम सब बालक हैं हिंदी के, हिंदी है महतारी।

गर्व हमें हिंदी भाषा पर, है ये गौरवशाली।
लिपि, उच्चारण में समान है, इसकी शान निराली।
हिंदी है अभिमान हमारा, है पहचान हमारी।
हम सब बालक हैं हिंदी के, हिंदी है महतारी।

-डॉ सुमन सुरभि, लखनऊ उत्तर प्रदेश 

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