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लालित्य ललित के व्यंग्य संग्रह ‘ पाण्डेय जी की अजब-गजब दुनिया ‘ का विमोचन

व्यंग्यकार को हलाहल पीना पड़ता है – प्रेम जनमेजय
ललित के व्यंग्य में आधुनिक और पारंपरिक संस्कारों की टकराहट है – अफरीदी

व्यंग्य संग्रह ‘ पाण्डेय जी की अजब -गजब दुनिया ‘ का विमोचन

उज्जैन | रचनाकार वही सफल होता है जो अपने युगधर्म की पहचान करता है और लालित्य ललित के व्यंग्य हमारे समय के सच का बयान करते हैं | बिना शिव हुए व्यंग्य लेखन संभव नहीं है क्योंकि व्यंग्यकार को तो हलाहल पीना पड़ता है और तभी उसमें विसंगतियों को पकड़ने की क्षमता जाग्रत होती है |

ये विचार वरिष्ठ व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय [ नई दिल्ली ] ने मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा प्रेस क्लब में व्यंग्यकार लालित्य ललित के व्यंग्य संग्रह ‘ पाण्डेय जी की अजब-गजब दुनिया ‘ के विमोचन प्रसंग के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये | सारस्वत अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार फारूख अफरीदी [ जयपुर ] ने कहा कि ललित जी के व्यंग्य में आधुनिक और पारंपरिक संस्कारों की टकराहट है | ललित के व्यंग्य करुणा का भाव जगाते हैं और ललित व्यंग्य में अपने मुहावरे खुद गढ़ते हैं | अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. हरिमोहन बुधौलिया ने कहा कि ललित जी के व्यंग्य सामाजिक सरोकारों से जुड़े होते हैं और उनका पात्र पाण्डेय जी आम आदमी का प्रतिनिधित्व करता है | प्रमुख वक्ता डा शैलेन्द्र शर्मा ने कहा कि ललित जी के व्यंग्य , व्यंग्य को हाशिये से केंद्र में लाने का सफल प्रयास करते हैं और ललित जी का लेखन हिंदी व्यंग्य की विशेषताओं पर खरा उतरता है |

सारस्वत अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार फारूख अफरीदी [ जयपुर ]

विशेष अतिथि प्रो. राजेशकुमार ने कहा कि ललित जी के व्यंग्य अपने समय की मनोरंजक रचनाएं हैं क्योकिं ललित जी बारीकी से ,शिद्दत से , मेहनत से विषयों का चयन करते हैं और उनके पात्र मौलिक होकर अपना परिचय स्वयं देते हैं | व्यंग्यकार लालित्य ललित ने कहा कि विसंगतियां मुझे लिखने के लिए बाध्य और प्रेरित करतीं हैं और लिखना उन्हें पसंद भी है | साहित्यकार डा संजीव कुमार , व्यंग्यकार रणविजय राव , डा उर्मि शर्मा और प्रकाशक रमेश खत्री ने भी ललित जी को उनके उनतीसवें व्यंग्य संग्रह के प्रकाशन की बधाई दी |

व्यंग्य संग्रह पर चर्चा करते हुए समीक्षक , संपादक डा देवेन्द्र जोशी ने कहा कि ललित जी के व्यंग्य लहुलुहान नहीं करते बल्कि गुदगुदाते हैं | उनकी रचनाएं किसी का दिल नही दुखातीं बल्कि हंसातीं हैं और सोचने पर विवश करतीं हैं |

डा प्रेम जनमेजय का अभिनंदन
डा प्रेम जनमेजय का अभिनंदन

आयोजन में डा प्रेम जनमेजय का व्यंग्य विधा के संवर्धन और सृजन के लिए मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा सारस्वत सम्मान कर अभिनंदन किया गया | अन्तराष्ट्रीय व्यंग्य संकलन का संपादन करने के लिए संपादक लालित्य ललित और प्रो. राजेश कुमार ,प्रकाशक डा संजीव कुमार का विशेष सम्मान प्रतीक चिन्ह प्रदान कर अतिथियों ने किया | आयोजन में अन्तराष्ट्रीय व्यंग्य संकलन में स्थान पाने पर शहर के व्यंग्यकारों रमेशचन्द्र शर्मा, संदीप सृजन , राजेन्द्र नागर , अनिल गुप्ता , कोमल वाधवानी , स्वामीनाथ पाण्डेय का अतिथियों द्वारा सम्मान किया गया |

अतिथि स्वागत डा हरीशकुमार सिंह , पिलकेंद्र अरोरा , मुकेश जोशी , संदीप सृजन , राजेश रावल ,संतोष सुपेकर आदि ने किया | आयोजन में शांतिलाल जैन , डा पुष्पा चौरसिया , मीरा जैन , राजेन्द्र देवधरे , हरिहर शर्मा , आर सी शर्मा , राजेश राज , अनिल कुरेल आदि उपस्थित थे | आरम्भ में सरस्वती वंदना डा अभिलाषा शर्मा ने प्रस्तुत की | सञ्चालन डा देवेन्द्र जोशी और आभार डा हरीशकुमार सिंह ने व्यक्त किया।

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