रंजना फतेपुरकर
दर्द का रिश्ता जोड़ा है
अपनों ने ही बेदिल हो
उसका नन्हा सा दिल अक्सर तोड़ा है
बेटी बेटी कहकर
जिन्होंने बचपन से दुलारा था
पल पल उसको अपना नहीं
पराया धन बताया था
मेरी प्यारी रानी बेटी कहकर
पल पल उसको अपना नहीं
पराया धन बताया था
मेरी प्यारी रानी बेटी कहकर
दूसरे घर विदा कराया था पर
साथ ही उसे डोली से अर्थी तक का
साथ ही उसे डोली से अर्थी तक का
सबक हर पल याद कराया था
पर क्या इस पराये धन को
उस घर ने भी कभी अपनाया था
उन्होंने तो दहेज के यज्ञकुंड में
पर क्या इस पराये धन को
उस घर ने भी कभी अपनाया था
उन्होंने तो दहेज के यज्ञकुंड में
इस बेटी को बली चढ़ाया था
बेटी को तो सिर्फ उसकी
बेटी को तो सिर्फ उसकी
धरती माँ ने ही अपनाया
इस नाज़ुक सी कोमल कली को
अपने आँचल में समेट
माँ का रिश्ता निभाया
लेकिन स्त्री!
अब तुम जागो
अबला नहीं सबला बनो
आशाओं का स्वर्णिम सवेरा आया है
यज्ञ कुंड की अग्नि में अब
पापियों को भस्म करने का जमाना आया है
स्त्री तुम शक्ति हो दुर्गा हो
हर संकट को हरा सको
ऐसी शक्ति स्वरूपा हो
इस नाज़ुक सी कोमल कली को
अपने आँचल में समेट
माँ का रिश्ता निभाया
लेकिन स्त्री!
अब तुम जागो
अबला नहीं सबला बनो
आशाओं का स्वर्णिम सवेरा आया है
यज्ञ कुंड की अग्नि में अब
पापियों को भस्म करने का जमाना आया है
स्त्री तुम शक्ति हो दुर्गा हो
हर संकट को हरा सको
ऐसी शक्ति स्वरूपा हो
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