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काव्यकृति ‘पानी से दीप’ का विमोचन

चेन्नई। श्री शंकरलाल सुन्दरबाई शासुन जैन महिला महाविद्यालय में हिंदी विभाग के तत्वावधान में आयोजिक समारोह में साहित्यकार डॉ. दिलीप धींग की काव्यकृति ‘पानी से दीप’ का विमोचन किया गाया। अभुषा फाउंडेशंस से प्रकाशित इस पुस्तक का विमोचन फाउंडेशंस के अध्यक्ष अभय श्रीश्रीमाल जैन एवं मुख्य न्यासी श्राविकारत्न उषा श्रीश्रीमाल ने किया। वसंत पंचमी के पावन प्रसंग पर महाविद्यालय के नवीन समाचार सभागार (शासुन न्यूज़) में पहली बार आयोजित समारोह में अभय श्रीश्रीमाल ने कहा कि यह सौभाग्य है कि उन्हें डॉ. धींग के साहित्य को लोगों तक पहुँचाने का अवसर मिला। उन्होंने इस पुस्तक को ‘सदाबहार फूलों का गुलदस्ता’ बताते हुए कहा कि साहित्य और साहित्यकार का समादर करना ही सरस्वती की सच्ची पूजा है। महाविद्यालय में जैनविद्या विभाग के निदेशक डॉ. ज्ञान जैन ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि डॉ. धींग के साहित्य में विश्वास और आचरण का बल है, यही वजह है कि वे पानी से दीप प्रज्वलित करने की बात कह सके हैं। इस पुस्तक में सभी आयु-वर्ग के पाठकों के लिए आत्म-जागृति के दीपक जल रहे हैं। उन्होंने सुझाया कि इस किताब की कविताओं का तमिल, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है।


पुस्तक पर समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कवयित्री विजया कोटेचा ने ‘पानी से दीप’ पुस्तक की अनेक काव्य पंक्तियाँ उद्धृत कीं और कहा कि डॉ. धींग की काव्यसाधना बहुमुखी हैं। वे अछूते विषयों पर प्रभावी सृजन करते हैं। इस पुस्तक के काव्य-दीपों में कहीं श्रद्धा का झरना है तो कहीं संस्कृति की सरिता। कहीं तत्वज्ञान है तो कहीं मानवीय मूल्यों का गुणगान है। कहीं अहिंसा के शाश्वत स्वर हैं तो कहीं जीवन की समस्याओं के उत्तर हैं। कवि डॉ. धींग ने साहित्य प्रकाशन में अभुषा फाउंडेशंस के योगदान के प्रति आभार जताया और कहा कि ज्ञान बाँटने से बढ़ता है। महाविद्यालय के जैनविद्या विभाग में सहायक प्राध्यापिका डॉ. राजल बोरुंदिया ने मंगलाचरण करके डॉ. धींग का परिचय दिया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. एस. पद्मावती ने धन्यवाद दिया। हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ. सरोजसिंह ने सधा हुआ सुंदर संचालन किया। इस अवसर पर उपप्राचार्य डॉ. रुक्मणि, डॉ. संतोष मूथा, सरोज चोरड़िया सहित महाविद्यालय की प्राध्यापिकाएँ और छात्राएँ भी उपस्थित थीं।

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