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माखनलाल विश्वविद्यालय, संबंधित अध्ययन केंद्रों को करेगा मजबूत- कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश

- देश के संकट के समय में रेडियो ने निभाई अपनी अहम भूमिका - आवाज की दुनिया का शहंशाह है रेडियो
- भोपाल स्थित विशन खेड़ी में जल्द ही माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के नए परिसर का होगा उद्घाटन
- विश्व रेडियो दिवस के उपलक्ष्य में रेडियो दस्तक के कार्यक्रम में कुलपति प्रोफेसर के जी सुरेश ने रखे अपने विचार

उज्जैन । माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय अपने 1600 के करीब संबंधित अध्ययन संस्थाओं को और अधिक सशक्त मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह बात माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश ने उज्जैन स्थित संबंधित अध्ययन संस्था द्वारा संचालित रेडियो दस्तक 90.8 एफएम के अधिकारियों और सीएमसी कमेटी के सदस्यों को संबोधित करते हुए कही । श्री के जी सुरेश जी ने रेडियो दस्तक के कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि उज्जैन जैसी ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी में रेडियो एक सशक्त माध्यम है संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए । रेडियो दस्तक मालवा की संस्कृति और लोक परंपरा को आगे बढ़ाने में मदद करेगा वह स्थानीय कलाकारों परंपरा और मालवा के लोक जीवन में अपनी गहरी पैठ बनाएगा ।। सीएमसी के सदस्य रेडियो दस्तक के कम्युनिटी प्रोग्राम को और समुदाय के बीच ले जाने का कार्य करेंगे । सीएमसी सदस्यों में प्रमुख रूप से सीए नितिन गरुड़ डॉक्टर एस के जैथलिया, सन्दीप कुलश्रेष्ठ, अरुण देशपांडे, पुनीत अग्रवाल, महेश परियानी, रवि लोहिया, पी के सिसोदिया, अमृता कुलश्रेष्ठ, डॉ नीलम महाडिक , डॉ गिरीश पंड्या मौजूद रहे । 

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय इन अध्ययन संस्थाओं में पढ़ रहे करीब 80000 छात्रों को करोना काल में अध्ययन सामग्री ऑनलाइन पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. तथा फेसबुक के माध्यम से व्याख्यान मालाओं के साथ अन्य कार्यक्रमों के जरिए भोपाल परिसर से जोड़ रहे हैं. यही नहीं आने वाले दिनों में अध्ययन केंद्रों में नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे,और केंद्रों के बीच सुविधाओं के आदान-प्रदान का एक व्यवस्था भी सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि कोई छात्र वंचित न रह जाए. साथ ही शिक्षा के स्तर को ठीक करने के लिए शिक्षकों के लिए संकाय संवर्धन कार्यक्रम चलाया जाएगा।


प्रोफेसर केजी सुरेश ने कहा कि हाल में ही उन्होंने मध्यप्रदेश शासन के अधिकारियों से मिलकर अनुरोध किया है कि वह अनुसूचित जाति, जनजाति, दिव्यांगजन इत्यादि तबको को दिया जाने वाला छात्रवृत्ति एवं अन्य सहायता अध्ययन केंद्रों के छात्रों को भी उपलब्ध कराया जाए।
उज्जैन यात्रा के दौरान प्रोफेसर सुरेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश पांडे से सौजन्य भेंट की एवं अन्य विषयों पर भी चर्चा की।


विश्व रेडियो दिवस के उपलक्ष में रेडियो दस्तक में प्रसारित अपने साक्षात्कार में प्रोफेसर केजी सुरेश ने बताया कि रेडियो जितना पहले सार्थक एवं प्रासंगिक था आज भी रेडियो उतना ही सार्थक एवं प्रासंगिक है. रेडियो पर जनता का एक विश्वास है. रेडियो सबसे ज्यादा एक्सेसबल और पोर्टेबल है. आप रेडियो को कहीं भी आसानी से अपने साथ ले जा सकते हैं. जब देश के किसी भी कोने में कोई आपदा आती है. और सभी मीडिया के माध्यम फेल हो जाते हैं तब रेडियो ही उन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जानकारी पहुंचाता है. रेडियो की एक खासियत है कि किसान इसे अपने खेत में अपने साथ ले जा सकता है. मजदूर अपने काम के दौरान इसे अपने साथ रख सकता है।

 

रेडियो आपका एक अच्छा दोस्त है. अगर आप किचन में खाना भी बना रहे हैं, घर में कोई जरूरी काम भी कर रहे हैं तो आप रेडियो बजा कर छोड़ सकते हैं और अपना जरूरी काम भी कर सकते हैं और रेडियो भी सुन सकते हैं. रेडियो ही एक ऐसा माध्यम है जहां आपको एक फेंक कंटेन, मिस इंफॉर्मेशन कभी न दिखाई देगी ना सुनाई देगी. यह इन सब चीजों से अभी तक वंचित है. देश के विकास में रेडियो की अहम भूमिका है. यह देश के जन-जन तक विकास की भूमिका को, क्षेत्रीय संगीत, शास्त्रीय संगीत सहित देश की अन्य विधाओं को देश के कोने कोने तक पहुंचाने में मदद करता है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आकाशवाणी रेडियो के माध्यम से जब देश को संबोधित किया था. हम उसे आज भी नेशनल ब्रॉडकास्टिंग डे के रूप में मनाते हैं. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी रेडियो के माध्यम से देश के जन-जन तक अपना संदेश पहुंचाया था. आवाज की दुनिया में रेडियो का अपना एक विशेष महत्व है, आज भी रेडियो ने अपनी क्षेत्र में विशेष पहचान बनाई है।

 

कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर केजी सुरेश ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय देश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. विश्वविद्यालय के करीब 80,000 छात्र विश्व विद्यालय परिवार से जुड़े हैं. देश के सभी बड़े प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थाओं में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के छात्र वहां काम कर रहे हैं. यह हमारे लिए गर्व की बात है. हमारा 55 एकड़ में भोपाल स्थित बिशन खेड़ी में हमारा नया परिसर खुलने जा रहा है. वहां पर कर्मवीर के नाम से हम वहां एक रेडियो स्टेशन खोलने जा रहे हैं. जल्द ही उसका उद्घाटन किया जाएगा. खंडवा में भी हमारा विश्वविद्यालय का परिसर है. वह किशोर दा की जन्म स्थली है. हम वहां पर फिल्म स्टडीज का एक प्रोग्राम शुरू करेंगे. रीवा परिसर में हम ग्रामीण पत्रकारिता पर एक नया कोर्स शुरू करेंगे. विश्वविद्यालय की पत्रिकाएं अब नियमित रूप से प्रकाशित होंगी. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की पहचान विश्व स्तर पर होगी. हम यहां पर शोध और प्रकाशन पर जोर दे रहे हैं।

 

आने वाले समय में देश के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की गिनती होगी. प्रोफेसर केजी सुरेश ने अपने वक्तव्य में कहा कि कोरोना काल में वह मीडिया कर्मी जो मल्टीटास्किंग के माध्यम से अपनी पहचान बना रखी है उन्होंने इस दौरान भी पूरे देश में अपने काम से अपनी विशेष पहचान बनाई है. अब हम अपने विश्वविद्यालय में भी अपने छात्रों को लिखने के साथ-साथ बोलने और सोशल मीडिया में काम करने की कला से रूबरू करवाएंगे. छात्रों को यूट्यूब ब्लॉगर सहित सोशल मीडिया के सभी माध्यमों में मजबूत करने की कोशिश होगी. मैं सभी छात्रों को एक ही बात बोलूंगा कि ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करें बोलने की कला विकसित करें अधिक से अधिक विषयों पर अपने लेख लिखें, सोशल मीडिया पर अपनी पकड़ बनाएं जमीनी स्तर से जुड़े रहे. अधिक से अधिक लोगों से जुड़ कर उनसे अधिक से अधिक जानकारी जानकारी जुटाएं. हम लोग भाषा के प्रति बहुत उदासीन हो गए हैं. भाषा पर बहुत अधिक महत्त्व दें. पत्रकार को शोध परक होना चाहिए. यह अध्ययन से ही होगा. मीडिया के क्षेत्र में ब्रॉडकास्ट बहुत बड़ा भविष्य है. बहुत बड़े-बड़े मीडिया संस्थान इन क्षेत्रों में उतर चुके हैं. मीडिया के क्षेत्र में एनिमेशन ग्राफिक्स बहुत ही पोटेंशियल है. हमने भी विश्वविद्यालय में इनसे जुड़े हुए कोर्स शुरू कर दिए हैं. पूरे देश में इसकी बहुत ही डिमांड है. आने वाले समय में भाषाई पत्रकारिता पर जोर होगा. देश के सभी प्रदेशों और जिलों में बोले जाने वाली भाषाओं पर अलग-अलग तरीके से प्रोग्राम का प्रसारण होगा

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