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भारत भूमि के सच्चे सपूत-नेताजी सुभाषचंद्र बोस

यह उसी वीर इतिहास-पुरुष की अनुपम अमर कहानी है।
जो रक्त कणों से लिखी गई,जिसकी जय-हिन्द निशानी है।।

जब भी देश के महान क्रांतिकारियों का नाम लिया जाता हैं तो उनमें एक ऐसा भी नाम शामिल हैं जिन्होंने देश को आज़ादी दिलाने के लिए अपनी एक फौज का निर्माण किया, हम बात कर रहें हैं नेताजी के नाम से मशहूर सुभाष चंद्र बोस की, देश के लिए ब्रिटिश नौकरी छोड़ कर वो कूद गए थे स्वतंत्रता संग्राम में जहां उन्होंने अलग-अलग देशों में जाकर आज़ादी की लड़ाई के लिए मदद मांगी।
गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हुये भारत को आजाद कराने के लिये अनेक देशभक्तों ने अपने-अपने तरीकों से भारत को आजाद कराने की कोशिश की। किसी ने क्रान्ति के मार्ग को अपनाया तो किसी ने अहिंसा और शान्ति के मार्ग को, पर दोनों मार्गों के समर्थकों के संयुक्त प्रयासों से ही भारत की आजादी का मार्ग निर्धारित हुआ।


भारत की आजादी के लिये संघर्ष करते हुये अनेक क्रान्तिकारी भारतीय शहीद हुये। ऐसे ही महान क्रान्तिकारी, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे सुभाष चन्द्र बोस। एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने अपने कार्यों से अंग्रेजी सरकार के छक्के छुड़ा दिये। इन्होंने अपने देश को आजाद कराने के लिये की गयी क्रान्तिकारी गतिविधियों से ब्रिटिश भारत सरकार को इतना ज्यादा आंतकित कर दिया कि वो बस इन्हें भारत से दूर रखने के बहाने खोजती रहती, फिर भी इन्होंने देश की आजादी के लिये देश के बाहर से ही संघर्ष जारी रखा और वो भारतीय इतिहास में पहले ऐसे स्वतंत्रता सेनानी हुये जिसने ब्रिटिश भारत सरकार के खिलाफ देश से बाहर रहते हुये सेना संगठित की और सरकार को सीधे युद्ध की चुनौती दी और युद्ध किया। इनके महान कार्यों के कारण लोग इन्हें ‘नेताजी’ कहते थे।


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक, आजाद हिन्द फौज के संस्थापक, दबंग व्यक्तित्व के धनी, भारत भूमि के सच्चे सपूत और जय हिन्द का नारा देने वाले सुभाष चन्द्र बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक नामक नगरी में सुभाष चन्द्र बोस का जन्म हुआ था। अपनी विशिष्टता तथा अपने व्यक्तित्व एवं उपलब्धियों की वजह से सुभाष चन्द्र बोस भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा....! जय हिन्द। जैसे नारों से आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज ( 23 जनवरी ) जयंती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में शुमार होते हैं जिनसे आज के दौर का युवा वर्ग प्रेरणा लेता है। उनका ‘जय हिन्द’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया।


सुभाष चंद्र बोस को ‘नेता जी’ भी बुलाया जाता है। वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रख्यात नेता थे| हालाँकि देश की आज़ादी में योगदान का ज्यादा श्रेय महात्मा गाँधी और नेहरु को दिया जाता है मगर सुभाष चन्द्र बोस का योगदान भी किसी से कम नहीं था। एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा, निष्ठा कर्तव्य और बलिदान. जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है।

वो एक बहादुर और महत्वाकांक्षी भारतीय युवा थे जिसने सफलतापूर्वक आई.सी.एस परीक्षा पास होने के बावजूद अपनी मातृभूमि की आजादी के लिये देशबंधु चितरंजन दास द्वारा प्रभावित होने के बाद असहयोग आंदोलन से जुड़ गये। हमारी आजादी के लिये ब्रिटिश शासन के खिलाफ वो लगातार हिंसात्मक आंदोलन में लड़ते रहे।


18 अगस्त 1945 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु ताईवान में हो गयी परंतु उसका दुर्घटना का कोई साक्ष्य नहीं मिल सका। सुभाष चंद्र की मृत्यु आज भी विवाद का विषय है और भारतीय इतिहास सबसे बड़ा संशय है।

गोपाल कृष्ण पटेल


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