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अपना चेहरा न ग़मगीं बनाया करो

हमीद कानपुरी
अपना चेहरा न ग़मगीं बनाया करो।
वक्त कोई भी हो मुस्कुराया करो।

साथ चाहे न चलकर के जाया करो।
रास्ता ठीक लेकिन बताया करो।

इस तरफ भी कभी यार आया करो।
सिर्फ मुझको नहीं घर बुलाया करो।

मत सवालात उन पर उठाया करो।
दोस्तों को नहीं आज़माया करो।

हर शिकायत को हँसकर भुलाया करो।
जब बुलाये सनम दौड़ जाया करो।

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