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मात्र 5 रु में उज्जैन में 22 सालों से चल रही भरपेट भोजन सेवा

डॉ चन्दर सोनाने
लोकप्रिय टीवी कार्यक्रम ' कौन बनेगा करोड़पति ' में सदी के महानायक श्री अमिताभ बच्चन ने हाल ही में शुक्रवार को आए ' कर्मवीर ' के विशेष कार्यक्रम में दिल्ली की ' दादी की रसोई ' के सेवा कार्यों को प्रस्तुत किया । श्री अनूप खन्ना द्वारा पिछले पाँच साल से मात्र 5 रु में जरूरतमंदों को भोजन देने के सेवा कार्यों को उक्त कार्यक्रम में विस्तार से बताया गया और उसकी सराहना भी की गई । ऐसे सेवा कार्यों की प्रशंसा की भी जानी चाहिए । उस कार्यक्रम को देखते हुए अनायास ही उज्जैन में पिछले 22 सालों से निरंतर चल रही भरपेट भोजन सेवा का स्मरण हो आया । महाकाल की नगरी उज्जैन में उज्जयिनी सेवा समिति द्वारा पहले 10 साल तक मात्र 2 रु में और बाद में 12 सालों से मात्र 5 रु में जरूरतमंदों को बैठा कर भोजन परोसकर भरपेट भोजन कराया जा रहा है । 
है ना आश्चर्य ! आज के समय में जब 5 रु में एक कचोरी या समोसा या चाय नहीं मिलती है , वहाँ मात्र 5 रु में कुर्सी पर बैठा कर टेबल पर परोसकर भरपेट भोजन कराना क्या संभव है ? इस असंभव को संभव कर दिखाया है , उज्जैन की उज्जयिनी सेवा समिति ने । आप जानना चाहेंगे कि ऐसा कैसे संभव है ? तो आइए , आपको सुनाते हैं इसकी कहानी ।
महाकाल मंदिर में पर्वों पर शुरू किया फलाहारी भोजन -
उज्जैन के चार सेवाभावी दोस्तों घनश्याम पटेल , ओमप्रकाश अग्रवाल , मुरलीधर तोतला और नोतनदास चेतनाणी ने वर्ष 1996 में एक दिन ' निः स्वार्थ परमार्थ सेवा ' के ध्येय वाक्य के साथ उज्जयिनी सेवा समिति का गठन किया । समिति द्वारा सर्वप्रथम देलोल गुजरात वाले श्री रामजी महाराज के 'सही सोओ - स्वस्थ रहो ' का निःशुल्क सप्त दिवसीय स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया । इसके बाद इसी वर्ष समिति के चारों दोस्तों ने अपनी - अपनी माताजी को बैठाकर उन्हें साक्षी मानकर और स्वामी परमानंद जी महाराज के विशेष आतिथ्य में श्री महाकाल मंदिर में एक नई सेवा शुरू की । वह सेवा थी , प्रतिवर्ष श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार को एवं महाशिवरात्रि पर्व पर श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन के लिए बाहर से पधारे दर्शनार्थियों और कावड़ यात्रियों के लिए निःशुल्क फलाहारी महाप्रसादी भोजन की व्यवस्था । उस वर्ष से मंदिर के सभी पर्वों पर यह सेवा आज तक निरंतर अबाध रूप से चल रही है । उस समय महाकाल मंदिर में अन्न क्षेत्र नहीं था , इसलिए समिति ने वर्ष 2006 में महाकाल मंदिर की धर्मशाला में एक हजार श्रद्धालुओं के लिए प्रतिदिन भोजन महाप्रसादी बनाने के लिए बर्तन , टेबल , कुर्सी , सोलर प्लान्ट , एक्वागार्ड आदि सामग्री प्रदान कर एक अन्न क्षेत्र की शुरुआत कर श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के सुपुर्द किया । तब से ही मंदिर समिति निरंतर आज तक अन्न क्षेत्र सफलतापूर्वक संचालित कर रहा है ।

मात्र 2 रु में भरपेट भोजन -
यह तो हुई भूमिका । अब आप सुनिये असली कहानी । वर्ष 1998 में श्री सी पी अरोरा उज्जैन में कलेक्टर बन कर आये। ये पहले विदिशा में जब कलेक्टर थे , उस समय उन्होंने एक दिन सरकारी जिला अस्पताल का निरीक्षण किया तो पाया कि परिसर में जगह - जगह कंडे जलाकर बाटी सिक रही है और ईंटों के चूल्हे बना कर दाल बनाई जा रही है । पूछने पर उन्होंने पाया कि ये अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन हैं । गाँव के गरीब होने के कारण बाहर होटल का महंगा खाना नहीं खा सकते , इसलिए अपना भोजन खुद बना रहे हैं । इस कारण परिसर में कई जगह राख भी बिखरी पड़ी है । यह देखकर उन्होंने आयकर अधिकारी श्री रमाकांत शर्मा के साथ वहाँ के सरकारी जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों के लिए मात्र 2 रु में भरपेट भोजन सेवा शुरू की । विदिशा की सफलता के बाद उज्जैन आने पर उन्होंने उज्जैन में भी इसी तरह की सेवा शुरू करने की सोची । तलाश करने पर उन्हें उज्जयिनी सेवा समिति के सेवा कार्यों का पता चला तो उन्होंने इस समिति को उज्जैन के जिला अस्पताल में मात्र 2 रु में भरपेट भोजन कराने की जिम्मेदारी सौंपी । 
इस समिति ने ग़ांधी जयंती 2 अक्टूबर 1998 को अस्पताल के ही परिसर में कलेक्टर द्वारा उपलब्ध कराए गए भवन में रोज दोपहर में 2 रु में भरपेट भोजन सेवा की शानदार शुरुआत की । पहले एक समय केवल दोपहर में ही भोजन सेवा थी । इसके बाद भर्ती मरीजों की जरूरत को देखते हुए 7 जून 1999 से शाम को भी भोजन सेवा आरम्भ कर दी गई । इस प्रकार अब मरीज के परिजनों को सुबह - शाम भोजन बनाने की समस्या से जहाँ छुटकारा मिला , वहीं उन्हें मात्र 2 रु में भरपेट भोजन भी आसानी से मिलने लगा । एक दशक बाद 2008 से 2 रु की जगह 5 रु में भोजन देना शुरु किया । आज भी दोपहर और शाम को मिलाकर करीब 200 से 250 जरूरतमंदों को यह सेवा निरंतर दी जा रही है । भोजन में रोजाना दोपहर में 12 से 1 बजे तक और शाम को 7 से 8 बजे तक भरपेट रोटी , सब्जी , दाल और चावल दिए जाते हैं ।समिति ने इसी तरह वर्ष 2008 में इंदौर के प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर और वर्ष 2009 में मैहर के शारदा माता मंदिर में भी सहयोग कर अन्न क्षेत्र की शुरुआत की है।
रेल्वे स्टेशन पर यात्रियों को ठंडा जल - 
यहाँ समिति के एक और सेवा कार्य का उल्लेख जरूरी है । कलेक्टर श्री सी पी अरोरा जी की ही प्रेरणा से 1999 से समिति द्वारा प्रतिवर्ष ग्रीष्मकाल में उज्जैन के रेल्वे स्टेशन के प्लेटफार्म पर आने वाली समस्त रेलगाड़ियों के साधारण दर्जे के डिब्बों में भीड़ में फंसे यात्रियों को उनके स्थान पर ही समिति के स्वयं सेवक जाकर उन्हें निःशुल्क उबला ठंडा जल उपलब्ध कराते हैं । यह सेवा भी निरंतर अबाध रूप समिति चला रही है । 
जन्म दिन, वर्षगांठ , पुण्य तिथि पर भोजन कराना - 
आपके जेहन में एक सवाल उठ रहा होगा कि इसके लिए पैसे कहाँ से आते हैं ? तो आपको बताते हैं कि समिति द्वारा किये जाने वाले सभी सेवा कार्य सहयोगदाताओं द्वारा मिली खाद्य सामग्री और सहयोग राशि से ही होते हैं । कोई भी व्यक्ति अपने जन्म दिन , अपनी पत्नी और बच्चों के जन्म दिन , शादी की वर्ष गांठ , अपने परिजन की पुण्य तिथि या किसी भी अवसर पर भोजन शाला में जरूरतमंदों को भोजन करा सकते हैं । इसके साथ ही उक्त अवसर पर भोजन शाला में उपस्थित होकर परोसगारी कर खुद भी भोजन कर सकते हैं । सहयोग राशि भी अधिक नहीं है । सुबह के भोजन के लिए 1000 रु , शाम के भोजन के लिए 700 रु । दोनों समय के भोजन के लिए 1500 रु । और यदि आप भोजन के साथ मिठाई भी देना चाहते हैं तो 500 रु और देने होंगे । इसके साथ ही प्रति वर्ष एक निश्चित दिन जन्म दिन , वर्षगांठ या पुण्य तिथि पर एक समय निरंतर भोजन योजना की भी व्यवस्था है। इसके लिए आप एकमुश्त मात्र 7,000 रु देकर साल में एक दिन तय कर सकते हैं । उस भोजन में आप एक मिठाई भी देना चाहें तो सहयोग राशि मात्र 10,000 रु है। है ना शानदार सेवा । 
पंचक्रोशी महाप्रसादी सेवा - 
अब आपको इसी समिति की एक और सेवा कार्य से आपको परिचित कराते हैं । उज्जैन में भारी गर्मी में हर वर्ष हजारों श्रद्धालु पैदल 118 किलोमीटर लंम्बी पंचक्रोशी यात्रा करते हैं । यात्रा के दौरान वे अपने सिर पर भोजन सामग्री भी लेकर चलते हैं । यात्रा में पाँच पड़ाव आते हैं । इन पड़ावों पर ये रुककर भोजन बनाते हैं , खाते हैं और रात्रि विश्राम करते हैं । इन श्रद्धालुओं को अपनी यात्राओं में पोटली में भोजन सामग्री उठाकर नहीं चलने पड़े , इसके लिए समिति ने वर्ष 2019 में 29 अप्रैल से 3 मई तक सभी पाँचों पड़ावों के स्थानों पर निः शुल्क भरपेट भोजन की पंचक्रोशी महाप्रसादी सेवा शुरू की । यात्रा के पहले भोजन प्रसादी देने का व्यापक प्रचार प्रसार भी किया गया , ताकि श्रद्धालु अपने साथ भोजन सामग्री नहीं लाए । इस सेवा का ध्येय वाक्य था ' साथ लाएँ एक थाली एक ग्लास - भोजन की व्यवस्था हमारे पास '। इस प्रकार हर पड़ाव पर करीब 50 हजार श्रद्धालुओं को भोजन कराया गया । इस प्रकार सभी पाँचों पड़ावों पर करीब ढाई से तीन लाख की संख्या में श्रद्धालुओं को भोजन प्रसादी दी गई । आप सोच रहे होंगे इसका खर्च कहाँ से आया ? तो आप सही सोच रहे हैं । आपको बताते हैं , एक दानवीर के बारे में । प्रसिद्ध उद्योगपति , समाजसेवी और दानवीर श्री महावीर प्रसाद मानसिंगका की प्रेरणा और सहयोग से समिति ने यह सेवा कार्य कर श्रद्धालुओं के सिर का भार हल्का किया । यह सेवा 2020 में भी करने की पूरी योजना बना ली गई थी , किन्तु कोरोना के कारण जिला प्रशासन ने पंचक्रोशी यात्रा निरस्त कर दी थी । समिति ने आगे भी हर वर्ष यह सेवा करने का संकल्प किया है ।
दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना में भागीदारी - 
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2017 में प्रदेश के सभी जिलों में मात्र 5 रु में जरूरतमंदों को भरपेट भोजन कराने की दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना शुरू की तो उज्जैन में जिला प्रशासन ने उज्जयिनी सेवा समिति को ही यह जिम्मेदारी सौंपी । उज्जैन में समिति ने 7 अप्रैल 2017 को 3 जगहों पर यह योजना शुरू की । इन तीन जगहों में जिला प्रशासन ने एक स्थान अस्पताल में ही चल रहा भोजन शाला चुना । दूसरा स्थान नानाखेड़ा बस स्टैंड का रैन बसेरा और तीसरा स्थान सिद्धनाथ मंदिर की धर्मशाला तय कर सेवा आरम्भ की गई । आज भी सिद्धनाथ मंदिर को छोड़कर दोनों जगहों पर यह सेवा निरंतर सफलतापूर्वक चल रही है । यहाँ यह उल्लेखनीय है कि उज्जैन के साथ प्रदेश में वर्तमान में केवल कुछ ही जिलों में यह योजना सफलतापूर्वक चल रही है , बाकी अधिकांश स्थानों पर यह योजना बहुत पहले ही बंद हो चुकी है । हाल ही में यह पता चला है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान फिर से पूरे प्रदेश में यह योजना शुरू करना कहते हैं । जिला प्रशासन ने समिति को उज्जैन में और 3 स्थानों पर यह योजना शुरू करने की तैयारी करने के लिए कहा है । मुख्यमंत्री की घोषणा होते ही और 3 जगहों पर जरूरतमंदों को मात्र 5 रु में भोजन देने की पूरी तैयारी जिला प्रशासन और समिति द्वारा कर ली गई है । 
कोरोना काल के लॉक डाउन में जरूरतमंदों को रोजाना निःशुल्क भोजन सेवा - 
कोरोना काल के लॉक डाउन में समिति ने जरूरतमंदों को रोजाना निः शुल्क भोजन उपलब्ध कराकर सेवा कार्य के नए कीर्तिमान स्थापित किए । समिति ने जिला प्रशासन द्वारा नागझिरी में उपलब्ध कराए गए एमडीएम की रोटी बनाने की ऑटोमैटिक मशीन से 25 मार्च से 31 मई 2020 तक प्रतिदिन 15,000 जरूरतमंदों को निःशुल्क भोजन के पैकेट वितरित किये । इन पैकेटों में 5 रोटी , सूखी सब्जी और अचार दिया गया । इन 15,000 पैकेटों में से 10,000 पैकेट उज्जैन में , 3,000 इंदौर में , 1,000 देवास में , 500 - 500 पैकेट सांवेर और मक्सी में सवयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से जरूरतमंदों को वितरित किये गए। समिति ने कोरोना के सबसे कठिन दिनों में लगातार कुल 67 दिनों तक करीब 8 लाख 85 हजार जरूरतमंदों को निःशुल्क भोजन के पैकेट वितरित कर अपने ध्येय वाक्य ' निःस्वार्थ परमार्थ सेवा ' को चरितार्थ किया । समिति को इस पुनीत सेवा कार्य में उज्जैन जिला प्रशासन और इंडोथाई सिक्यूरिटी लिमिटिड इंदौर का उल्लेखनीय सहयोग मिला । सबसे बड़ा सहयोग समाजसेवी एवं समिति के संरक्षक श्री एम पी मानसिंगका का मिला । उन्होंने भोजन की खाद्य सामग्री मुक्त हस्त से समिति को उपलब्ध कराई । इसके साथ ही समिति ने माह जून 2020 में पूरे माह रोजाना करीब 500 भोजन के पैकेट जरूरतमंदों को वितरित किये गए । इसके बाद 2 जुलाई 2020 से समिति की अस्पताल स्थित भोजनशाला में 11 बजे से 3 बजे तक रोजाना केवल एक बार नियमित रूप से मात्र 5 रु में भोजन के पैकेट वितरित करना शुरू कर दिया गया । जिला प्रशासन के कोरोना के कारण दिए गए निर्देशानुसार अब जरूरतमंदों को बैठाकर भोजन करने की जगह भोजन के पैकेट वितरित किये जा रहे हैं । जिला प्रशासन के जब भी निर्देश प्राप्त होंगे , उसी दिन से जरूरतमंदों को बैठा कर और परोसकर दोनों समय भोजन सेवा फिर से पूर्ववत शुरू कर दी जाएगी ।
समिति दो साल बाद अपनी सिल्वर जुबली मनाएगी -
उज्जयिनी सेवा समिति अपने निःस्वार्थ परमार्थ सेवा के अपने गठन के निरंतर 23 साल पूरे कर दो साल बाद 25 साल पूर्ण कर अपनी सिल्वर जुबली मनाएगी । आपने समिति के सेवा कार्यों को पढ़ा और समझा है । यदि आप इन सेवा कार्यों को प्रत्यक्ष देखना चाहते हैं तो आप भोजन शाला में पधारकर स्वयं देख सकते हैं । और यदि आप उज्जैनवासी हैं तो गौरव के साथ कह सकते हैं कि दिल्ली ही नहीं हमारे उज्जैन में महाकाल की नगरी में भी एक सेवाभावी संस्था है जो पिछले 22 सालों से मात्र 5 रु में जरूरतमंदों को कुर्सी पर बैठा कर और टेबल पर परोसकर भरपेट भोजन करा रही है । संम्भवतः देश भर में अकेला उज्जैन ही है , जहाँ जरूरतमंदों की इस तरह 22 साल से निरंतर भोजन सेवा की जा रही है । इस समिति की स्थापना से आज तक इसके संयोजक घनश्याम पटेल ( मोबाइल 9425312555) , अध्यक्ष ओमप्रकाश अग्रवाल (मोबाइल 9425093597) , उपाध्यक्ष सी पी हिंगड़ , सचिव मुरलीधर तोतला और कोषाध्यक्ष नोतनदास चेतनाणी है। इस समिति के प्रेरणा स्रोत स्व. श्री सी पी अरोरा और संरक्षक श्री एम पी मानसिंगका हैं । परामर्शदाता सर्वश्री डॉ रमण सिंह सिकरवार , व्ही के बाथम , आर के चौधरी और रमाकांत शर्मा हैं । इस समिति में अनेक सेवाभावी संचालक , महिला संचालक और सदस्यगण अपनी सक्रिय सेवा देने के लिए हरदम तैयार रहते हैं।

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